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सावन के सोमवार: क्यों भगवान शिव की पूजा इन दिनों मानी जाती है सबसे फलदायी ? इस आध्यात्मिक वीडियो में जानें पौराणिक महत्व और पूजन विधि

सावन के सोमवार: क्यों भगवान शिव की पूजा इन दिनों मानी जाती है सबसे फलदायी ? इस आध्यात्मिक वीडियो में जानें पौराणिक महत्व और पूजन विधि

सावन सोमवार विशेष रूप से देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से भगवान भोलेनाथ की पूजा करता है और मनोकामना मांगता है, उसकी मनोकामना सावन के महीने में अवश्य पूरी होती है। 

52 में से 4 सोमवार का है विशेष महत्व
पंडित श्रवण कुमार शास्त्री ने बताया कि "इस वर्ष 2025 में करीब 52 सोमवार पड़ रहे हैं, जिनमें से 4 सोमवार सावन के हैं, जिनका विशेष महत्व है। इन चारों सोमवार को भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। सावन सोमवार की कथा शिव पुराण में विस्तार से वर्णित है। जिसमें सावन माह में सोमवार व्रत रखने का महत्व विस्तार से बताया गया है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने देवों के देव महादेव को पति रूप में पाने के लिए सावन माह में कठोर तप किया था और सोमवार का व्रत रखा था। जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वरदान स्वरूप पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

अर्धनारीश्वर मंदिर में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
पांढुर्ना जिले के अर्धनारीश्वर मंदिर में शिवलिंग मौजूद है। जहां हर साल सावन सोमवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ मां पार्वती और यहां मौजूद महादेव की विधि-विधान से पूजा करती है। भगवान शिव पार्वती की पूजा करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है और शिव पार्वती का आशीर्वाद।

11 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन महीना
इस साल सावन महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है और यह 9 अगस्त तक चलेगा। सावन का पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। दूसरा सोमवार 21 जुलाई को और तीसरा सोमवार 28 जुलाई को पड़ेगा और आखिरी सोमवार 4 अगस्त को पड़ेगा।

11 जुलाई- सावन महीने की शुरुआत
14 जुलाई- पहला सोमवार व्रत
21 जुलाई- दूसरा सोमवार व्रत
28 जुलाई- तीसरा सोमवार व्रत
04 अगस्त- चौथा और आखिरी सोमवार व्रत

जानिए भोलेनाथ की पूजा की विधि
पंडित श्रवण कुमार शास्त्री बताते हैं कि "सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े पहनें। इसके बाद सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल या ताजा जल, जो भी उपलब्ध हो, चढ़ाएं। फिर भोलेनाथ को कच्चे दूध से स्नान कराएं। इसके बाद फिर से जल चढ़ाएं। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, राख, नैवेद्य चढ़ाएं। इस दौरान शिव मंत्रों का लगातार जाप करते रहें। आप शिव चालीसा का पाठ भी कर सकते हैं। पूजा समाप्त होने के बाद आरती करें और अपनी मनोकामना मांगें। दरअसल, भोलेनाथ बेलपत्र और एक लोटा जल चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं।"

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