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भोलेनाथ को शीघ्र ही करना है प्रसन्न तो जानिए कैसे करे शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ, वीडियो में जानिए सही समय और विधि 

भोलेनाथ को शीघ्र ही करना है प्रसन्न तो जानिए कैसे करे शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ, वीडियो में जानिए सही समय और विधि 

भारतीय सनातन परंपरा में भगवान शिव को संहार के देवता के रूप में पूजा जाता है, लेकिन वे भक्तों के लिए करुणा, दया और मोक्ष के दाता भी हैं। भगवान शिव की उपासना में जितने मंत्र प्रसिद्ध हैं, उनमें से ‘शिव पंचाक्षर स्तोत्र’ एक अत्यंत शक्तिशाली और प्रभावकारी स्तोत्र माना जाता है। इस स्तोत्र का मूल मंत्र है – "नमः शिवाय", जो पंचाक्षर यानी पाँच अक्षरों से मिलकर बना है। यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है और शिव भक्ति का एक गूढ़ एवं गहन स्त्रोत है।

 पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व
‘शिव पंचाक्षर स्तोत्र’ को नित्य पाठ करने से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि यह साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक उन्नति भी लाता है। यह पंचाक्षर मंत्र ("न", "म", "शि", "वा", "य") शिव के पांच प्रमुख तत्वों – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश – का प्रतिनिधित्व करता है।ऐसी मान्यता है कि इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

पाठ के लिए उपयुक्त समय और स्थान
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त या संध्या समय किया जाना सबसे उत्तम माना गया है।
किसी शांत और पवित्र स्थान पर आसन लगाकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
यदि संभव हो तो पाठ के समय सामने शिवलिंग या शिव-पार्वती की प्रतिमा रखें।
पाठ करने से पहले स्नान आदि से शुद्ध हो जाएं और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पाठ विधि (Step-by-Step Process)
शिव का ध्यान करें: आंखें बंद कर शिव जी के त्रिनेत्र, जटाजूट, गले के नाग और गंगा से युक्त स्वरूप का ध्यान करें।
दीप और धूप अर्पण करें: एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती या धूप शिवजी को अर्पण करें।
पंचामृत से अभिषेक (यदि घर पर शिवलिंग है): जल, दूध, दही, घी, शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें: कम से कम 108 बार इस महामंत्र का जाप करें, इससे मन और स्थान की ऊर्जा शुद्ध होती है।

अब पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ आरंभ करें:
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
**तस्मै न काराय नमः शिवाय॥

मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमुखगणैरप्सिताय।
मुक्ताय भूक्ताय सुरेश्वराय
**तस्मै म काराय नमः शिवाय॥

शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
**तस्मै शि काराय नमः शिवाय॥

वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य
मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
**तस्मै व काराय नमः शिवाय॥

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
**तस्मै य काराय नमः शिवाय॥

अंत में प्रार्थना करें: भोलेनाथ से अपने मन की बात कहें और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें।

कुछ विशेष सुझाव और नियम
स्तोत्र का पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें, जल्दबाजी न करें।
यदि संस्कृत उच्चारण कठिन लगे, तो हिंदी में अर्थ सहित स्तोत्र का जप करें।
सोमवार, प्रदोष, महाशिवरात्रि और सावन मास में इसका पाठ अत्यधिक फलदायक होता है।

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