दुनिया में सिर्फ एक महामृत्युंजय मंदिर ऐसा जिसमें हैं 1001 छिद्र, इस आध्यात्मिक वीडियो में जानें चमत्कारिक इतिहास और शक्तिशाली प्रभाव

मध्य प्रदेश के रीवा जिले में भगवान भोलेनाथ के कई मंदिर हैं जो काफी प्रसिद्ध हैं, लेकिन यहां एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है जहां भगवान शंकर के महामृत्युंजय रूप की पूजा की जाती है। रीवा किला परिसर के अंदर स्थित इस मंदिर का निर्माण सोलहवीं शताब्दी में यहां के बघेल राजाओं ने करवाया था। मान्यता है कि यहां भगवान शिव की पूजा करने से लंबी आयु की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस शिवालय का महत्व द्वादश ज्योतिर्लिंगों के समकक्ष माना जाता है।रीवा के महामृत्युंजय मंदिर में विराजमान शिवलिंग की संरचना दुनिया में मौजूद अन्य शिवलिंगों से बिल्कुल अलग है। दुनिया के किसी भी अन्य मंदिर में आपको 1001 छिद्रों वाला शिवलिंग नहीं मिलेगा। आमतौर पर शिवलिंग का रंग सफेद होता है, लेकिन यहां मौसम के साथ शिवलिंग का रंग थोड़ा बदल जाता है।
शिव पुराण के अनुसार देवाधिदेव महादेव ने महासंजीवनी महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति की थी। महादेव ने इस मंत्र का रहस्य माता पार्वती को ही बताया था। यहां भगवान महामृत्युंजय के मंत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहां भगवान महामृत्युंजय के दर्शन के लिए आते हैं। यह किला पिछले 400 वर्षों से भी अधिक समय से महामृत्युंजय मंदिर के बगल में मौजूद है। किवदंती है कि महामृत्युंजय स्वामी के आशीर्वाद के कारण रीवा कभी किसी का गुलाम नहीं रहा। न मुगल काल में, न ही अंग्रेजों के शासनकाल में।
मंदिर में पूजा करने से अकाल मृत्यु टलती है
इस मंदिर की एक रोचक कथा है जो बताती है कि कैसे भगवान भोलेनाथ का महामृत्युंजय रूप हर जीव को अकाल मृत्यु से बचाता है। बघेल वंश के 21वें महाराजा विक्रमादित्य देव (वि.सं. 1654-1681) ने इस क्षेत्र में शिकार करते समय एक बाघ को चीतल का पीछा करते देखा था। राजा को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि जब बाघ मंदिर के पास पहुंचता था तो वह चीतल का शिकार नहीं कर पाता था। चीतल के पास पहुंचकर भी बाघ उसका शिकार किए बिना ही वापस लौट जाता था। उस स्थान पर जाने से चीतल की जान बच जाती थी। ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ। यह देखकर राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। उन्होंने उस स्थान की खुदाई करवाई तो गर्भगृह में भगवान महामृत्युंजय का सफेद शिवलिंग मिला। शिवपुराण में इसी सफेद शिवलिंग का उल्लेख महामृत्युंजय के रूप में किया गया है। इसलिए यहां भव्य मंदिर बनवाया गया और शिवलिंग की स्थापना की गई।