Mahamrityunjay Mantra : जिसकी महानता के आगे विज्ञान भी टेकता है घुटने, वीडियो में जाने इसका जाप कैसे टालता है अकाल मृत्यु ?

भारतीय सनातन परंपरा में महामृत्युंजय मंत्र को अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी माना गया है। यह मंत्र न केवल जीवन में संकटों से रक्षा करता है, बल्कि मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्तर पर भी गहरी शांति और ऊर्जा प्रदान करता है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसका उल्लेख ऋग्वेद और यजुर्वेद दोनों में किया गया है।आज के समय में जब चारों ओर तनाव, भय, रोग और जीवन की अनिश्चितताएं बढ़ती जा रही हैं, ऐसे में महामृत्युंजय मंत्र का जप व्यक्ति को आत्मबल प्रदान करने वाला साधन बन सकता है।
क्या है महामृत्युंजय मंत्र?
महामृत्युंजय मंत्र इस प्रकार है:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
इस मंत्र में भगवान शिव को ‘त्र्यम्बक’ अर्थात तीन नेत्रों वाले के रूप में पुकारा गया है। मंत्र में कहा गया है कि हम उस भगवान की उपासना करते हैं जो सुगंधित हैं, पोषण करने वाले हैं। जैसे खीरा बेल से अलग होता है वैसे ही हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरत्व की ओर ले जाएं।
मंत्र का पौराणिक महत्व
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, इस मंत्र का प्रयोग महर्षि वशिष्ठ ने चंद्रदेव के असाध्य रोग को ठीक करने के लिए किया था। यही नहीं, जब मार्कंडेय ऋषि की अल्पायु होने के संकेत मिले, तब भी उनके माता-पिता ने महामृत्युंजय मंत्र का जप आरंभ किया, जिससे उनकी आयु अनंत हो गई।इस मंत्र को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ (महा-मृत्यु-जय) कहा गया है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि इसका नियमित और शुद्ध उच्चारण भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करता है और मृत्यु जैसे संकट को भी टाल देता है।
किन कार्यों में होता है मंत्र का प्रयोग?
रोग निवारण के लिए: जब व्यक्ति किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा हो, तो इसका जाप मानसिक शक्ति और शारीरिक ऊर्जा देता है।
कालसर्प दोष व ग्रहबाधा में: कई ज्योतिषाचार्य सलाह देते हैं कि महामृत्युंजय मंत्र का जप ग्रह शांति और दोष निवारण के लिए अचूक उपाय है।
आयु वृद्धि के लिए: अल्पायु योग या अकाल मृत्यु के भय को दूर करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
यात्रा सुरक्षा: लंबी या जोखिमभरी यात्राओं से पहले इसका जप व्यक्ति को सुरक्षा कवच प्रदान करता है।
संकट निवारण के लिए: जीवन में कोई बड़ा संकट या मानसिक दबाव हो, तब भी यह मंत्र मानसिक शांति देता है।
कैसे करें महामृत्युंजय मंत्र का जप?
जप के लिए प्रातःकाल या संध्याकाल का समय श्रेष्ठ माना जाता है।
रुद्राक्ष की माला से 108 बार मंत्र का जप करें।
पूजा स्थल को शुद्ध और शांत रखें। दीपक व धूप जलाकर शिवलिंग या शिव चित्र के समक्ष बैठें।
मन में स्थिरता रखें और पूर्ण श्रद्धा से जप करें।
सोमवार को इसका विशेष महत्व होता है, परन्तु शुक्रवार को भी यह मंत्र शुक्र दोष और मानसिक तनाव को शांत करता है।
किन बातों का रखें विशेष ध्यान?
शुद्ध उच्चारण: यह वेदों का मंत्र है, अतः इसका उच्चारण त्रुटिरहित होना चाहिए।
शारीरिक स्वच्छता: स्नान आदि करके ही जप करें।
एकाग्रता: मंत्र का असर तभी होता है जब मन पूरी तरह भगवान शिव में लीन हो।
नियमिता: इसे एक दिन नहीं, बल्कि कम से कम 40 दिन तक प्रतिदिन जप करने से विशेष फल मिलता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
आधुनिक विज्ञान भी अब यह मान रहा है कि मंत्रों की ध्वनि तरंगे हमारे मस्तिष्क की तरंगों को प्रभावित करती हैं। महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जप मस्तिष्क में अल्फा वेव्स को सक्रिय करता है, जिससे मानसिक तनाव कम होता है और एकाग्रता बढ़ती है।