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Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

10 सितंबर को गजलक्ष्मी व्रत रखा जाएगा। यह व्रत माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरे विधि विधान से साथ किया जाता हैं वही पंचांग के मुताबिक हर वर्ष यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को शुरू हो जाता हैं और 16 दिनों तक उपवास रखे जाते हैं। पितृपक्ष
Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

10 सितंबर को गजलक्ष्मी व्रत रखा जाएगा। यह व्रत माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूरे विधि विधान से साथ किया जाता हैं वही पंचांग के मुताबिक हर वर्ष यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को शुरू हो जाता हैं और 16 दिनों तक उपवास रखे जाते हैं। Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथापितृपक्ष की अष्टमी तिथि में व्रत का समापन होता हैं व्रत का फल जातक को तभी मिलता हैं जब वह व्रत में गज लक्ष्मी व्रत की कथा सुनता या पढ़ता हैं तो आज हम आपके लिए इस लेख में लेकर आए है गज लक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा, तो आइए जानते हैं।Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

यहां पढ़ें व्रत कथा—
एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था वह नियमित रूप से जगत के पालनहार श्री विष्णु भगवान की पूजा करता था। उसकी पूजा भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान विष्णु ने दर्शन दिए और ब्राह्माण से वर मांगने के लिए कहा। तब ब्राह्मण ने माता लक्ष्मी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की।Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा तब श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग बताया। उन्होंने बताया कि मंदिर के सामने एक स्त्री आती हैं जो यहां आकर उपले थापती हैं तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना वही देवी लक्ष्मी हैं। विष्णु ने ब्राह्मण से कहा, जब धन की देवी लक्ष्मी तुम्हारे घर पधारेंगी तो तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जाएगा।Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

यह कहकर श्री विष्णु चले गए। अगले दिन वह सुबह ही मंदिर के सामने बैठ गया। लक्ष्मी जी उपले थापने के लिए आईं तो ब्राह्मण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया। ब्राह्मण की बात सुनकर लक्ष्मी समझ गईं। कि यह सब भगवान विष्णु के कहने से हुआ हैं।Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा माता लक्ष्मी ने ब्राह्मण से कहा कि मैं चलूंगी तुम्हारे घर मगर इसके लिए पहले तुम्हें महालक्ष्मी व्रत करना होगा। 16 दिनों तक व्रत करने और 16वें दिन रात्रि को चंद्रमा को जल देने से तुम्हारा मनोरथ सिद्ध होगा। ब्राह्मण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा। इसके बाद माता लक्ष्मी ने अपना वचन पूरा किया। मान्यता है कि उसी दिन से इस व्रत की शुरूवात हो गई।Mahalaxmi Vrat Katha: जानिए कैसे हुई महालक्ष्मी व्रत की शुरूवात, यहां पढ़ें पौराणिक कथा

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