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महा मृत्युंजय मंत्र है दिव्य लेकिन ये लापरवाही पड़ सकती है भारी, वीडियो में जाने महामृत्युंजय जाप करते समय किन गलतियों से बचना क्यों है जरूरी?

महा मृत्युंजय मंत्र है दिव्य लेकिन ये लापरवाही पड़ सकती है भारी, वीडियो में जाने महामृत्युंजय जाप करते समय किन गलतियों से बचना क्यों है जरूरी?

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक विशेष मंत्र है। अगर आप भयमुक्त, रोगमुक्त जीवन चाहते हैं और अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति चाहते हैं तो आपको भगवान शिव के सबसे प्रिय 'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करना चाहिए। इसका प्रतिदिन 108 बार जाप करने से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां दूर होती हैं और अधिकतम लाभ मिलता है। माना जाता है कि यह मोक्षदायक मंत्र है। महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है। शिवपुराण में भी इसका महत्व बताया गया है। आइए जानते हैं जाप की सही विधि क्या है और इसके अनेक लाभ क्या हैं।

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

अर्थ - हम त्रिनेत्र की पूजा करते हैं, जो सुगंधित है और हमें पोषण देता है। जिस प्रकार फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है, उसी प्रकार हमें भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाना चाहिए।

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य की अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। इसका जाप करने वाले को दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
महामृत्युंजय मंत्र के जाप से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाल का नाश, संतानहीनता जैसे अनेक दोष नष्ट हो जाते हैं।
यदि आप किसी लंबी बीमारी से मुक्ति चाहते हैं तो प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करें। इस मंत्र के जाप से रोगों का नाश होता है और मनुष्य स्वस्थ हो जाता है। शारीरिक शांति के साथ-साथ मानसिक शांति भी प्राप्त होगी।
धन हानि से बचने, संपत्ति से संबंधित विवादों में सफलता पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ होता है। इससे मनुष्य को धन-धान्य की कमी नहीं होती।
ईर्ष्या, लोभ, हानि का भय, इस प्रकार की नकारात्मकता भी इस मंत्र के जाप से समाप्त हो जाती है। इससे व्यक्ति को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय न करें ये गलतियां
महामृत्युंजय मंत्र का सही उच्चारण करना बहुत जरूरी है। इसमें कोई भी गलती होने पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखें कि आप जिस आसन पर बैठे हैं वह बिल्कुल शुद्ध हो। कुशा के आसन पर बैठकर जाप करना सबसे अच्छा होता है।
इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष की माला से करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप विधि-विधान से करते हुए शिवलिंग पर दूध मिले जल से अभिषेक करते रहें।
इस मंत्र का जाप एक निश्चित संख्या निर्धारित करके करें। अगले दिन संख्या बढ़ा दें, लेकिन कम न करें।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए।
यदि आप इसका नियमित जाप नहीं कर सकते हैं, तो इसे सुनने मात्र से ही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। इसलिए ऑफिस जाते समय या कोई भी शुभ कार्य करने से पहले इसे सुनना अच्छा माना जाता है।

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