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जन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्ण

जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता हैं भगवान कृष्ण पूर्णावतार कहा गया हैं और जन्माष्टती का व्रत व्रतराज माना जाता हैं। जन्माष्टमी का व्रत महाफलदायी होता हैं इस रात्रि को मोहरात्रि भी कहते हैं इस रात्रि में भगवान कृष्ण का ध्यान करने, उनका नाम लेने से कल्याण होता है
जन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्ण

जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के रूप में मनाया जाता हैं भगवान कृष्ण पूर्णावतार कहा गया हैं और जन्माष्टती का व्रत व्रतराज माना जाता हैं। जन्माष्टमी का व्रत महाफलदायी होता हैं इस रात्रि को मोहरात्रि भी कहते हैं इस रात्रि में भगवान कृष्ण का ध्यान करने, उनका नाम लेने से कल्याण होता हैजन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्ण इस दिन सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने भगवान कृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया। श्रीकृष्ण भगवान सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए हैं तो आज हम आपको जन्माष्टमी और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।जन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्णवही श्रीमद्भागवत पुराण के मुताबिक नंदबाबा के घर आचार्य गर्गाचार्य द्वारा कान्हा का नामकरण संस्कार हुआ। कान्हा के जन्म का समय रात्रि माना जाता हैं इस दिन जन्मोत्सव रात्रि में मनाया जाता हैं व्रत करते हुए रात्रि में भगवान कृष्ण का जन्म उत्सव मानते हुए भजन कीर्तन करना होता हैं जन्माष्टमी का व्रत करने से सभी तरह के पापों और कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती हैं सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। जन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्णश्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराया जाता हैं दूध, दही, घी, शक्कर, शहद, केसर के घोल से स्नान कराकर फिर शुद्ध जल से स्नान कराएं। रात्रि 12 बजे भोग लगाकर पूजन करें व भगवान कृष्ण की आरती की जाती हैंजन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्ण ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप किया जाता हैं भगवान कृष्ण को वैजयंती के पुष्प बहुत प्रिय होते हैं उन्हें वैजयंती पुष्प अर्पित करना चाहिए। रात्रि 12 बजे भोग लगाना चाहिए। इस दिन पीला अनाज व पीली मिठाई का दान करना चाहिए।
जन्माष्टमी 2020: व्रतराज माना गया है जन्माष्टमी व्रत को, सोलह कलाओं से पूर्ण होकर अवतरित हुए भगवान कृष्ण

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