बांसुरी के बारे में ये बातें नहीं जानते होंगे आप
भगवान श्रीकृष्ण को बांसुरी बहुत ही अधिक प्रिय हैं, वही बांसुरी श्रीकृष्ण को अति प्रिय हैं हमेशा उनके साथ उनकी बांसुरी रहती थी। बांसुरी में तीन गुण होने से प्रिय हैं पहला बांसुरी में कोई गांठ नहीं होती हैं। ठीक इसी तरह से व्यक्ति को भी किसी भी बात की गांठ नहीं बांधनी चाहिए। किसी की भी बुराई को पकड़ के मत बैठों। वही दूसरा गुण यह हैं कि बांसुरी बिना बजाएं बजती नहीं। अत जब तक ना बोला जाय, हम भी व्यर्थ ना बोले। वही तीसरी बात यह कि जब भी बांसुरी बजती हैं मधुर ही बजती हैं इसका मतलब यह हैं कि जब भी बोले, मीठा ही बोले। जब ऐसे गुण प्रभु किसी में देखते हैं तो उसे उठाकर अपने होंठों से लगा लेते हैं। वही बांसुरी में कुल आठ छिद्र होते हैं जिसमें पहला छिद्र मुंह के पास होता हैं जिससे हवा फूंकी जाती हैं और छह छिद्र सरगम के होते हैं जिन पर उंगलियां होती हैं वही सबसे नीचे एक और छिद्र होता हैं जो आठवां छिद्र हैं वो ट्रयूंनग के लिए होता हैं। बांसुरी बनाना केवल बांस में होल कर देना नहीं हैं इससे मेजरमेंट का फंडा होता हैं अगर एक भी होल गलत हो गया तो फिर वह बांसुरी बेसुरी हो जाती हैं वही बांसुरी बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता हैं मगर ट्रयूंनग में बहुत समय लगता हैं साथ ही एक भी गलत जगह होल हो जाता हैं तो पूरी मेहनत बर्बाद हो जाती हैं। वही मानसिक तनाव और पति पत्नी के बीच अनबन को दूर करने के लिए सोते वक्त सिरहाने से बांसुरी रखनी चाहिए।