जयपुर का गलताजी मंदिर और श्रीराम भक्ति का अनोखा संगम, वायरल डॉक्यूमेंट्री में जानिए इस स्थान का भगवान राम से क्या है पौराणिक संबंध

जयपुर के पास अरावली पर्वतमाला की गोद में बसा गलताजी मंदिर न केवल एक ऐतिहासिक तीर्थस्थल है, बल्कि यह उन कुछ पवित्र स्थलों में से एक है जिनका संबंध प्रत्यक्ष रूप से भगवान श्रीराम की लीलाओं और उनके महान अनुयायियों से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह मंदिर एक ऐसी आध्यात्मिक भूमि है जो तप, त्याग, श्रद्धा और श्रीराम भक्ति का जीवंत उदाहरण है। विशेष रूप से रामनवमी, हनुमान जयंती और श्रावण मास जैसे पर्वों पर यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
गलताजी मंदिर: गालव ऋषि की तपोभूमि
गलताजी को “गालव ऋषि की तपोभूमि” के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि महान तपस्वी महर्षि गालव ने इस स्थान पर वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने उन्हें दर्शन दिए और इसे पवित्र स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ। श्रीराम के जन्म से भी बहुत पहले यह स्थान सिद्ध और पवित्र हो चुका था।
श्रीराम भक्ति और गालव परंपरा का गहरा संबंध
हालांकि इस स्थान पर श्रीराम के प्रत्यक्ष आगमन का कोई उल्लेख शास्त्रों में नहीं मिलता, परंतु यह माना जाता है कि राम भक्तों की साधना और रामचरितमानस के पाठ इस स्थल पर सैकड़ों वर्षों से होते आए हैं। श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी से जुड़ी कई किंवदंतियां यहां की परंपरा में सम्मिलित हैं।इस मंदिर परिसर में बालाजी (हनुमान जी) के कई छोटे-बड़े मंदिर स्थित हैं, जिनमें से एक मंदिर में हनुमान जी की ऐसी प्रतिमा है जो हमेशा भगवान श्रीराम की ओर निहारती प्रतीत होती है। यह भक्ति का प्रतीक है और दर्शाता है कि इस स्थल पर भगवान राम का स्मरण, पाठ और कीर्तन सदियों से होता आ रहा है।
अखंड ज्योत और श्रीराम नाम संकीर्तन
गालता जी मंदिर की सबसे अद्भुत बात है यहां लगातार जल रही अखंड ज्योत, जो करीब 500 वर्षों से अनवरत जल रही है। इस ज्योत के पास बैठकर आज भी संत और साधक श्रीराम नाम का जप और रामायण का पाठ करते हैं। मान्यता है कि इस ज्योत के पास बैठकर श्रीराम नाम का स्मरण करने से मन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं और जीवन में शांति और दिशा मिलती है।
रामायण और श्रीराम कथा का निरंतर वाचन
गलता जी में कई आश्रम हैं जहाँ प्रतिदिन श्रीरामचरितमानस का पाठ होता है। कई संत यहां वर्षों से रहकर श्रीराम कथा का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इन आश्रमों में रामनवमी और दशहरा जैसे पर्वों पर विशेष रामायण पाठ, सुंदरकांड और भजन संध्या का आयोजन होता है। यहां परंपरा यह भी है कि रामनवमी पर भक्तजन गलता कुंड में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं और फिर श्रीराम की आरती में शामिल होते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य में श्रीराम भक्ति का संगम
अरावली की पहाड़ियों से घिरा गलताजी मंदिर परिसर प्राकृतिक रूप से अत्यंत सुंदर है। यहां का वातावरण इतना शांत और आध्यात्मिक है कि यह स्थान ध्यान और तप के लिए उपयुक्त माना जाता है। मान्यता है कि कई साधकों ने यहां राम नाम का जाप करते हुए सिद्धियाँ प्राप्त कीं। खासकर संत तुलसीदास जी के अनुयायी परंपरागत रूप से यहां साधना के लिए आते रहे हैं।
श्रीराम मंदिर का विशेष स्थान
गलता जी मंदिर परिसर में स्थित श्रीराम मंदिर भले ही बाहरी रूप से भव्य न हो, लेकिन इसकी आध्यात्मिक शक्ति अपार मानी जाती है। इस मंदिर में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां स्थापित हैं। भक्त यहां आकर प्रभु श्रीराम को पुष्प अर्पित करते हैं, राम नाम का जाप करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
श्रद्धा और विश्वास का केंद्र
गलता जी मंदिर भले ही मुख्य रूप से महर्षि गालव और हनुमान जी से जुड़ा हो, परंतु यहां का आध्यात्मिक वातावरण श्रीराम भक्ति में लीन दिखाई देता है। यहां के संत, महंत और पुजारी प्रतिदिन श्रीराम स्तुति करते हैं। कई रामभक्त यहां रामनवमी पर 9 दिन का राम नाम संकीर्तन भी करते हैं, जो अद्भुत ऊर्जा और भक्तिभाव का संचार करता है।
गलता जी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह श्रीराम भक्ति की जीवंत परंपरा का प्रतीक है। यह वह स्थान है जहां तपस्या, साधना और श्रीराम नाम का सतत प्रवाह होता है। यहां आने वाले हर भक्त को एक ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है जो जीवन के कष्टों से मुक्ति दिलाकर उसे प्रभु श्रीराम की ओर उन्मुख कर देती है।