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भारत का इकलौता रहस्यमयी मंदिर जहां ढाढ़ी-मूंछ वाले बाला जी की होती है पूजा, वीडियो में जानिए इस चमत्कारी परंपरा के पीछे की कहानी

भारत का इकलौता रहस्यमयी मंदिर जहां ढाढ़ी-मूंछ वाले बाला जी की होती है पूजा, वीडियो में जानिए इस चमत्कारी परंपरा के पीछे की कहानी

आज पूरे देश में हनुमान जयंती बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाई जा रही है। लोग बड़ी श्रद्धा से हनुमान जी के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना कर रहे हैं, कहीं-कहीं तो लोग बड़े-बड़े भोज का आयोजन भी कर रहे हैं। दरअसल, हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने आप में अद्भुत है। हमारे भारत में एक ऐसा मंदिर जहां दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की पूजा की जाती है। आपको बता दें कि यह मंदिर भारत के राजस्थान के चूरू जिले के सालासर में स्थित है, जहां हनुमान जयंती के पावन अवसर पर सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। अब तक 3 लाख से ज्यादा भक्त दर्शन कर चुके हैं। इस मंदिर में सिर्फ राजस्थान से ही नहीं बल्कि पूरे देश के करीब 20 जिलों से भक्त दर्शन करने आते हैं। यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां हनुमानजी की दाढ़ी-मूंछ है।


विशेष मान्यता
इस मंदिर में दर्शन करने आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए भक्त मंदिर परिसर में खड़े पेड़ पर नारियल बांधते हैं। यह परंपरा पिछले 2 सदियों से चली आ रही है। मंदिर के पुजारियों के अनुसार, यह परंपरा सीकर के राव राजा देवी सिंह जी ने शुरू की थी। एक बार वे एक बच्चे को गोद लेने के लिए कहीं जा रहे थे। इस दौरान उन्हें रास्ते में एक बड़े पेड़ की टहनी दिखाई दी। यहां गरीब दास जी नाम के एक संत कुटिया बनाकर रह रहे थे। इसके बाद उन्होंने कहा कि राजा आप आगे बढ़िए, टहनी अपने आप आपके रास्ते से हट जाएगी। जैसे ही राजा आगे बढ़े, टहनी अपने आप ऊपर चली गई। इसके बाद देवी सिंह ने पूरी कहानी गरीब दास को बताई। तब गरीब दास ने कहा कि इस पेड़ की टहनी पर एक नारियल बांध दीजिए, आपकी मनोकामना पूरी होगी। नारियल बांधने की यह परंपरा उसी दिन से शुरू हुई। मंदिर के पुजारी परिवार इस बात का पूरा ध्यान रखते हैं कि एक बार नारियल बिकने के बाद वह वापस बाजार में बिकने के लिए न जाए या उसका दुरुपयोग न हो मंदिर में एक अखंड ज्योति है जिसे राजस्थानी भाषा में धूना भी कहा जाता है। यह पिछले 300 सालों से लगातार जल रही है। भक्त इसका पूरा ख्याल रखते हैं। आपको बता दें कि फिलहाल हनुमान जयंती के मौके पर आज मंदिर 19 घंटे तक खुला रहेगा। एक अनुमान के मुताबिक आज 20 से ज्यादा राज्यों से भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचेंगे।कहा जाता है कि इस विशाल मंदिर का निर्माण मुस्लिम कारीगरों ने किया है। आइए जानते हैं मंदिर की कहानी के बारे में।

जिस तरह हिंदू धर्म में लोग कोई भी शुभ काम शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा करते हैं, उसी तरह जब वे किसी परेशानी में होते हैं तो अपने संकटों से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी की पूजा करते हैं। लोगों का मानना ​​है कि अगर हनुमान जी की कृपा उन पर है तो उन्हें किसी भी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। यही वजह है कि अगर लोगों को कहीं अकेले जाने में डर लगता है या भूत-प्रेत का डर लगता है तो वे तुरंत हनुमान चालीसा पढ़ना शुरू कर देते हैं। मंगलवार के दिन आमतौर पर हर मंदिर में हनुमान भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में एक ऐसा मंदिर भी है जहां दाढ़ी वाले हनुमान की पूजा की जाती है। अगर आप भी हनुमान जी के बड़े भक्त हैं तो इस मंदिर के बारे में पढ़ना न भूलें।

इस जगह पर है मंदिर
राजस्थान के चूरू जिले में सालासर बालाजी नामक मंदिर में दाढ़ी वाले हनुमान जी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यह भारत का पहला ऐसा मंदिर है जहां दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी की मूर्ति स्थापित है। पूजा के दौरान भगवान के भक्त बालाजी के चेहरे पर सिंदूर भी लगाते हैं। देश-विदेश में प्रसिद्ध यह मंदिर 260 साल से भी ज्यादा पुराना है। मंदिर प्रबंधन की हनुमान सेवा समिति के अनुसार इस मंदिर की स्थापना विक्रम संवत 1811 में सावन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि यानी शनिवार को हुई थी। गांव के लोग हनुमान जी को कीर्तन गाते हुए असोटा गांव से रथ पर बिठाकर मंदिर लाए थे। समय के साथ यह स्थान पूरे देश में प्रसिद्ध हो गया। मंदिर में बालाजी के महान भक्त मोहनदास जी की समाधि भी स्थित है और मोहनदास द्वारा जलाई गई अग्निकुंड धूनी भी यहीं स्थित है। ऐसा माना जाता है कि इस अग्नि कुंड की राख से सभी दुख और कष्ट नष्ट हो जाते हैं।

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