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दक्षिण भारत में स्थित है 500 साल पुराना डोडा-गणेश मंदिर, वीडियो में चमत्कारी कथा जान आप  भी निकल पड़ेंगे दर्शन करने 

दक्षिण भारत में स्थित है 500 साल पुराना डोडा-गणेश मंदिर, वीडियो में चमत्कारी कथा जान आप  भी निकल पड़ेंगे दर्शन करने 

भारत एक ऐसी जगह है जहाँ आपको धर्म और आध्यात्म से जुड़ी कई जगहें मिल जाएँगी। अलग-अलग संस्कृतियों, परंपराओं, खान-पान से भरे इस देश में कई पर्यटन स्थल हैं। पर्यटन के लिहाज से यहाँ लाखों लोग अलग-अलग जगहों पर पहुँचते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटक भारत में मौजूद धार्मिक स्थलों के इतिहास और चमत्कारों के बारे में जानकर हैरान रह जाते हैं। भगवान गणेश एक ऐसे देवता हैं जिन्हें हिंदू धर्म में सबसे पहले पूजा जाता है। श्री गणेश की पूजा के बिना कोई भी पूजा या शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भगवान गणेश के कई मंदिर हैं जो लोगों के बीच मशहूर हैं। आज हम आपको दक्षिण भारत यानी कर्नाटक में मौजूद एक खास मंदिर के बारे में बताते हैं।


कर्नाटक के डोडा गणपति

दक्षिण भारत के जिस गणपति मंदिर की हम बात कर रहे हैं। यह बेंगलुरु के पास बसवनगुडी में डोडा गणपति के नाम से प्रसिद्ध है। आपको बता दें कि इस इलाके में डोडा का मतलब बड़ा होता है और इस मंदिर में बप्पा की मूर्ति बहुत बड़ी है। यही वजह है कि इस मंदिर को डोडा गणपति के नाम से जाना जाता है। यह बेंगलुरु से 13 किलोमीटर दूर है और यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। मंदिर की विशेषता

देश भर में भगवान गणेश की कई प्रतिमाएं और मंदिर हैं जिनकी अपनी-अपनी विशेषता है। लेकिन अगर डोडा गणपति की बात करें तो यहां की प्रतिमा बेहद खास है। यह 18 फीट ऊंची और 16 फीट चौड़ी है और इसे एक ही ग्रेनाइट चट्टान से बनाया गया है। चट्टान को काटकर इस पर गणपति जी की आकृति उकेरी गई है और यह बेहद खूबसूरत दिखती है। यहां एक नंदी प्रतिमा भी मौजूद है। इस मंदिर में बप्पा को 100 किलो मक्खन का भोग लगाया जाता है और फिर इसे प्रसाद के तौर पर भक्तों में बांटा जाता है।

दुनिया की सबसे बड़ी नंदी प्रतिमा
इस मंदिर के पीछे एक नंदी प्रतिमा भी है जिसे दुनिया की सबसे बड़ी नदी प्रतिमा कहा जाता है। इस जगह का इतिहास काफी पुराना बताया जाता है। कहा जाता है कि इसका निर्माण अंग्रेजों के भारत आने के बाद हुआ था।

दर्शन का समय
अगर आप इस मंदिर में जाना चाहते हैं तो सुबह 6:30 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक जा सकते हैं। इसके बाद मंदिर शाम 4:30 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है।

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