Samachar Nama
×

वीडियो में जानिए कब ओ किसने की भगवान शिव के Rudrashtakam Stotram की उत्पत्ति, जानिए इससे से जुड़ी रहस्यमयी बातें 

वीडियो में जानिए कब ओ किसने की भगवान शिव के Rudrashtakam Stotram की उत्पत्ति, जानिए इससे से जुड़ी रहस्यमयी बातें 

सावन के महीने में शिव मंदिरों में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। इस दौरान मंदिरों को बेहद खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है। इस पूरे महीने में देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए सावन सोमवार व्रत किया जाता है।

इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। पूजा के दौरान सच्चे मन से रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना किसने की थी? अगर नहीं जानते तो आइए जानते हैं इसके बारे में।यही कारण है कि हिंदी साहित्य के महान कवि तुलसीदास जी ने भक्ति काल में रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना की थी। इस स्तोत्र की रचना का उद्देश्य यह था कि इसका प्रतिदिन विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति जीवन के पापों से मुक्त हो सकता है।

होते हैं कई लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार यदि व्यक्ति विधिपूर्वक रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करता है तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन में खुशियां आती हैं। स्तोत्र का जाप करने से चिंता और मानसिक तनाव दूर होता है और पूजा का शुभ फल मिलता है।

रुद्राष्टकम स्तोत्र का जाप करने की विधि
सुबह जल्दी उठें और देवी-देवताओं के ध्यान से दिन की शुरुआत करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहनें। सूर्य देव को जल चढ़ाकर पूजा की शुरुआत करें। अब दीपक जलाएं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। सच्चे मन से महादेव की आरती करें और इसके बाद रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें। लगातार 7 दिनों तक सुबह और शाम इसका पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है। अब भगवान को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं।

Share this story

Tags