इस अनोखे मन्दिर में एकसाथ होते है श्रीराम के विवाह, वनवास और राज्याभिषेक के दर्शन, वीडियो में जाने 500 वर्ष पुरानी इस परंपरा का इतिहास

उत्तर भारत के प्रमुख श्री वैष्णव पीठ गलता तीर्थ में भगवान श्री राम के तीन स्वरूपों के एक साथ दर्शन हो रहे हैं। करीब 500 वर्षों से यहां श्री राम के तीनों स्वरूपों की नियमित सेवा, पूजा और प्रार्थना की जा रही है। यही कारण है कि श्री गलता जी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के लिए उत्तर भारत का प्रथम भक्ति केंद्र बन गया है। यहां भगवान राम के तीन अलग-अलग समय के दर्शन कराने वाली 3 अति प्राचीन दिव्य प्रतिमाएं हैं, जिनकी पूजा-अर्चना श्री गलता पीठ के पारंपरिक आचार्यों के सान्निध्य में 500 वर्षों से अधिक समय से नियमित रूप से होती आ रही है।
भगवान श्री सीतारामजी
गलता तीर्थ में भगवान सीतारामजी के दर्शन हो रहे हैं, जो भगवान के राज्याभिषेक के समय के दर्शन हैं। पद प्राप्ति, पदोन्नति, किसी परीक्षा-प्रतियोगिता आदि में उत्तीर्ण होने की कामना से लोग आज भी यहां आकर उनकी पूजा करते हैं।
भगवान श्री रघुनाथजी
गलता तीर्थ में भगवान रघुनाथजी के दर्शन हो रहे हैं, जो भगवान के वनवास के समय के दर्शन हैं। विशिष्टाद्वैत सिद्धांत को दर्शाने वाले इस दिव्य दर्शन में भगवान ब्रह्मा, सीता माया और जीवों के आचार्य लक्ष्मणजी जीवों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इनमें भगवान श्रीराम की मूर्ति पत्थर की, माता सीताजी की मूर्ति धातु की और लक्ष्मणजी की मूर्ति लकड़ी की है। इनकी पूजा लक्ष्मी, शिक्षा और आध्यात्म के लिए की जाती है।
भगवान श्री रामकुमार जी
गलता तीर्थ में भगवान के विवाह के समय के दर्शन भी हो रहे हैं, यहां विराजमान श्री रामकुमारजी के दर्शन विवाह के दौरान होते हैं। विवाह में आ रही बाधाओं से मुक्ति या सुखी और आदर्श वैवाहिक जीवन के लिए लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
रामलला भी विराजमान हैं, उन्होंने माता कौशल्या को इसी रूप में दर्शन दिए थे
गलताजी में तीन मूर्तियों के साथ ही रामलला की एक प्राचीन मूर्ति भी है, जो भगवान द्वारा माता कौशल्या को चतुर्भुज रूप में दिए गए दर्शन का ही रूप है। 500 वर्ष से अधिक पुरानी इस मूर्ति की शोभायात्रा हर वर्ष रामनवमी के दिन पारंपरिक रूप से निकाली जाती है।