तीन मिनट के इस आध्यात्मिक वीडियो में जाने Rudrashtakam Stotram के पाठ की सही विधि, मिलता है रोगमुक्ति और धनप्राप्ति का वरदान

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अनेक मंत्र और स्तोत्रों का पाठ किया जाता है, लेकिन उनमें से एक अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय स्तोत्र है — रुद्राष्टकम स्तोत्र। यह स्तोत्र तुलसीदास जी द्वारा रचित है, जो भगवान शिव के 'रुद्र' स्वरूप की स्तुति में गाया गया है। इसमें शिव की महिमा, उनकी शक्ति, सौम्यता और रौद्र रूपों का अत्यंत भावनात्मक वर्णन मिलता है। ऐसा माना जाता है कि प्रतिदिन श्रद्धा और विधिपूर्वक रुद्राष्टकम का पाठ करने से व्यक्ति को आर्थिक लाभ, रोगों से मुक्ति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
रुद्राष्टकम स्तोत्र का महत्व
रुद्राष्टकम का पाठ शिवजी की भक्ति का सबसे सशक्त माध्यम माना गया है। "नमामीशमीशान निर्वाण रूपम्" से शुरू होकर यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का भावपूर्ण चित्र प्रस्तुत करता है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक लाभ देता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन की अनेक समस्याओं का समाधान भी करता है।मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त रुद्राष्टकम का नित्य पाठ करते हैं, उन्हें धन, सुख, स्वास्थ्य, और मानसिक शांति सहज रूप से प्राप्त होती है। साथ ही, यह स्तोत्र सकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित करता है और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करता है।
रुद्राष्टकम पाठ की विधि
रुद्राष्टकम का पाठ करने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है ताकि इसका प्रभाव और अधिक शक्तिशाली हो:
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ रखें।
भगवान शिव का ध्यान करते हुए शिवलिंग या उनकी तस्वीर के सामने दीपक जलाएं।
बिल्वपत्र, सफेद पुष्प, जल, कच्चा दूध, शहद और चंदन भगवान को अर्पित करें।
इसके बाद रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें — यदि संभव हो तो उसका अर्थ भी समझें, जिससे भावनात्मक जुड़ाव और बढ़ेगा।
पाठ के अंत में "ॐ नमः शिवाय" का 108 बार जाप अवश्य करें।
कब करें रुद्राष्टकम का पाठ?
हालांकि इस स्तोत्र का पाठ किसी भी दिन और किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन सोमवार, महाशिवरात्रि, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष व्रत, या श्रावण मास के दिनों में इसका विशेष महत्व होता है। इन दिनों किया गया पाठ भक्त को शीघ्र फल प्रदान करता है।
लाभ जो मिल सकते हैं रुद्राष्टकम के नियमित पाठ से:
धन-समृद्धि: जो लोग आर्थिक संकटों से जूझ रहे हैं, उनके लिए रुद्राष्टकम अत्यंत लाभकारी है। यह लक्ष्मी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।
रोगमुक्ति: शरीर में लंबे समय से चल रही बीमारियों से मुक्ति के लिए यह स्तोत्र अचूक है। यह व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करता है।
मानसिक शांति और भयमुक्ति: नियमित पाठ से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है और मन को शांति का अनुभव होता है।
विवाह, संतान और कर्ज संबंधी बाधाएं दूर होती हैं, जब श्रद्धा और विश्वास से शिव की स्तुति की जाए।
रुद्राष्टकम स्तोत्र केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि एक दिव्य साधना है, जो व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार करती है। भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का यह अचूक उपाय है, जिसे हर शिवभक्त को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
प्रतिदिन केवल 5-10 मिनट देकर इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो जीवन के अनेक कष्ट स्वतः दूर हो सकते हैं। श्रद्धा और नियमपूर्वक किया गया रुद्राष्टकम का पाठ निश्चित ही भोलेनाथ को प्रसन्न करता है और साधक के जीवन में चमत्कारी परिवर्तन लाता है।