इस पौराणिक वीडियो में जाने मीनाक्षी देवी के तीन स्तनों का रहस्य, जानिए क्यों मां के दर्शनों के लिए लड़ती है लंबी-लम्बी कतारें
मीनाक्षी देवी मंदिर पूरे भारत में विशेष माना जाता है। इस मंदिर को दुनिया के 7 अजूबों की सूची में भी शामिल किया गया था। मीनाक्षी देवी मंदिर तमिलनाडु के मदुरै शहर में स्थित एक ऐतिहासिक मंदिर है, जिसे देखने के लिए लोग न केवल भारत से, बल्कि दूर-दूर से भी आते हैं और मंदिर में दर्शन के लिए घंटों इंतज़ार करते हैं। मीनाक्षी देवी को पार्वती का अवतार माना जाता है। मीनाक्षी देवी मंदिर 2500 साल पुराना है। मंदिर की भव्य संरचना के अलावा, मंदिर में स्थित मीनाक्षी देवी की मूर्ति भी लोगों के लिए बेहद रहस्यमयी है क्योंकि मीनाक्षी देवी की मूर्ति के तीन स्तन हैं। आइए, जानते हैं कि मीनाक्षी देवी मंदिर और इस देवी के तीन स्तन होने के पीछे क्या रहस्य है।
मीनाक्षी देवी मंदिर इतना भव्य है
इतिहासकारों का मानना है कि यह मंदिर 2500 साल से भी ज़्यादा पुराना है। इस मंदिर का गर्भगृह 3500 साल पुराना है। इसकी बाहरी दीवारें और बाहर का मंदिर परिसर 1500-2000 साल से भी ज़्यादा पुराना है। यह भव्य मंदिर 45 एकड़ भूमि पर बना है। मीनाक्षी देवी मंदिर में देवी पार्वती के साथ शिव भी विराजमान हैं। इस मंदिर में 12 भव्य गोपुरम हैं, जिन पर सुंदर नक्काशी की गई है। मंदिर में 8 स्तंभ बनाए गए हैं, जिन पर देवी लक्ष्मी की आठ मूर्तियाँ स्थापित हैं। इन स्तंभों पर भगवान शिव की पौराणिक कथाएँ अंकित हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश की भी एक मूर्ति है, जिस पर पत्थर पर बारीक नक्काशी की गई है।
मीनाक्षी मंदिर में बने हैं दो विशेष मंदिर
मीनाक्षी मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसके परिसर में दो मंदिर हैं। एक मंदिर मीनाक्षी मंदिर है और दूसरे को प्रधान मंदिर कहा जाता है। यहाँ मीनाक्षी देवी के एक हाथ में तोता और दूसरे हाथ में एक छोटी तलवार है। उनके मंदिर की दीवार पर कल्याण उत्सव का चित्र अंकित है। जबकि दूसरे मंदिर में सुंदरेश्वर देव का मंदिर है, जिन्हें शिव का अवतार माना जाता है। यहाँ विवाह समारोह में सुंदरेश्वर देव का हाथ मीनाक्षी देवी के हाथों में सौंप दिया जाता है। एक ओर जहाँ हिंदू धर्म में कन्यादान किया जाता है, वहीं दूसरी ओर मीनाक्षी देवी मंदिर में एक अनोखी परंपरा देखने को मिलती है। मान्यता है कि हर रात सुंदरेश्वर, मीनाक्षी देवी के गर्भगृह में आते हैं। इस दौरान दोनों दंपत्ति साथ रहते हैं और उन्हें कोई परेशान नहीं करता।
मीनाक्षी देवी का नाम मीनाक्षी क्यों पड़ा?
पौराणिक कथा के अनुसार, मदुरै के राजा मलयध्वज पांड्या और उनकी पत्नी ने पुत्र प्राप्ति के लिए एक यज्ञ किया था। इस यज्ञ से उन्हें जो पुत्री प्राप्त हुई, वह तीन वर्ष की थी। सामान्य संतान से बड़ी पैदा हुई पुत्री की एक खास बात यह थी कि उसकी आँखें मछली की तरह बड़ी और सुडौल थीं। इसी कारण राजा मलयध्वज और उनकी पत्नी ने अपनी पुत्री का नाम मीनाक्षी रखा।
मीनाक्षी देवी तीन स्तनों के साथ पैदा हुई थीं
मछली जैसी आँखों के अलावा, राजा मलयध्वज की पुत्री के तीन स्तन भी थे। अपनी पुत्री के तीन स्तन देखकर राजा और रानी बहुत दुखी हुए। यह देखकर भगवान शिव राजा के सामने प्रकट हुए और कहा कि जब उनकी पुत्री के लिए कोई योग्य वर मिल जाएगा, तो यह तीसरा स्तन अपने आप गायब हो जाएगा। शिव ने यह भी कहा कि उनकी पुत्री बहुत साहसी होगी, इसलिए उनकी पुत्री भी राजा की तरह उनके राज्य पर शासन करेगी।
साहसी मीनाक्षी देवी पूरी दुनिया को जीतना चाहती थीं
मीनाक्षी देवी बहुत साहसी थीं। इसी वजह से वह पूरी दुनिया पर राज करना चाहती थीं। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए रानी मीनाक्षी ने कई राजाओं को हराया। राजा ही नहीं, मीनाक्षी देवी ने कई देवताओं को भी हराया। अपने विजय रथ पर सवार होकर मीनाक्षी देवी एक दिन एक जंगल में पहुँचीं, जहाँ उनकी मुलाकात एक युवा संन्यासी से हुई। जब मीनाक्षी देवी इस संन्यासी से मिलीं, तो उनका तीसरा स्तन अपने आप गायब हो गया। स्तन के गायब होते ही, वह समझ गई कि शिव के कथनानुसार, यही सन्यासी उसका योग्य वर है। यह सन्यासी कोई और नहीं, बल्कि भगवान शिव थे। इस सन्यासी का नाम सुंदरेश्वर देव था। सुंदरेश्वर को देखकर रानी मीनाक्षी को याद आया कि वह इस युवक से पहले भी मिल चुकी हैं और उन्हें याद आया कि वह पार्वती का अवतार हैं और यह सन्यासी भगवान शिव हैं। मीनाक्षी देवी सन्यासी के साथ मदुरै लौट आईं, जहाँ उन्होंने सुंदरेश्वर देव से विवाह किया।
मीनाक्षी मंदिर कैसे पहुँचें
मीनाक्षी मंदिर में हमेशा भीड़ रहती है, इसलिए यहाँ जाने के लिए आपको पहले से बुकिंग करवानी होगी। अगर आप हवाई जहाज से मीनाक्षी मंदिर जाना चाहते हैं, तो मदुरै हवाई अड्डे पर पहुँचने के बाद, आप यहाँ से मीनाक्षी मंदिर जाने के लिए टैक्सी बुक कर सकते हैं। वहीं, अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं, तो मदुरै रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन है। स्टेशन पहुँचने के बाद, आप बस या टैक्सी बुक करके मंदिर पहुँच सकते हैं।

