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3 मिनट के इस शानदार वीडियो में देखे कैसे हुई कल से रक्षा करने आले महा मृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति ?

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धार्मिक मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को लंबी आयु प्राप्त होती है और यमराज भी उन्हें कोई कष्ट नहीं देते हैं। महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति के बारे में यह पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार शिव भक्त ऋषि मृकंदु ने संतान प्राप्ति के लिए भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी। तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि मृकंदु को इच्छानुसार संतान प्राप्ति का वरदान दिया था। लेकिन शिव जी ने ऋषि मृकंदु से कहा कि यह पुत्र अल्पायु होगा। कुछ समय बाद ऋषि मृकंदु को पुत्र की प्राप्ति हुई। ऋषियों ने बताया कि इस बालक की आयु मात्र 16 वर्ष होगी। यह सुनते ही ऋषि मृकंदु दुख से घिर गए।


जब उनकी पत्नी ने उनके दुख का कारण पूछा तो उन्होंने सारी बात बता दी। तब उनकी पत्नी ने कहा कि यदि शिव जी की कृपा हुई तो वे इस विधान को भी स्थगित कर देंगे। ऋषि ने अपने पुत्र का नाम मार्कंडेय रखा और उसे शिव मंत्र भी दिया। मार्कंडेय शिव भक्ति में लीन रहने लगे। जब समय निकट आया तो ऋषि मृकण्डु ने अपने पुत्र मार्कण्डेय को अपनी अल्पायु के बारे में बताया। उन्होंने यह भी कहा कि यदि शिवजी चाहेंगे तो वे इसे टाल देंगे।

अपने माता-पिता के दुःख को दूर करने के लिए मार्कण्डेय ने भगवान शिव की आराधना कर उनसे दीर्घायु का वरदान प्राप्त करना आरम्भ किया। मार्कण्डेय जी ने दीर्घायु का वरदान पाने के लिए भगवान शिव की आराधना हेतु महामृत्युंजय मंत्र की रचना की तथा शिव मंदिर में बैठकर इसका निरंतर जाप करने लगे।

महामृत्युंजय मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।

समय पूरा होने पर यमदूत मार्कण्डेय के प्राण लेने आए लेकिन उन्हें शिव के ध्यान में लीन देखकर वे वापस यमराज के पास आए तथा उन्हें पूरी बात बताई। तब यमराज स्वयं मार्कण्डेय के प्राण लेने आए। जब यमराज ने मार्कंडेय पर अपना पाश डाला तो बालक मार्कंडेय शिवलिंग से लिपट गया। इस तरह पाश गलती से शिवलिंग पर गिर गया। यमराज के इस आक्रमण से शिव जी बहुत क्रोधित हुए। और यमराज की रक्षा के लिए भगवान शिव प्रकट हुए। इस पर यमराज ने उन्हें विधि का विधान याद दिलाया। तब शिव जी ने मार्कंडेय को दीर्घायु का वरदान देकर विधि का विधान बदल दिया।

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