वीडियो में जानिए कौन है वो 4 प्रकार के लोग जिन्हें अवश्य करनी चाहिए शनि देव की पूजा ? नहीं तो बार-बार होती रहेगी हानि

सनातन धर्म में शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है। शनिदेव न्याय के देवता और मोक्ष प्रदाता हैं। उनकी शरण में रहने वाले भक्तों को जीवन में सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। साथ ही उन्हें करियर में मनचाही सफलता मिलती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शनिदेव कर्मफलदाता हैं। वे अच्छे कर्म करने वालों को शुभ फल प्रदान करते हैं। वहीं, बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति को दंड भी देते हैं। बुरे कर्म करने वाले लोग शनिदेव की नजर से बच नहीं पाते। सरल शब्दों में कहें तो शनिदेव व्यक्ति को दंड जरूर देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव किन लोगों को सबसे ज्यादा परेशान करते हैं? आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ-
ज्योतिष में शनिदेव
ज्योतिषियों ने ग्रहों को दो भागों में बांटा है। मंगल, राहु, केतु और शनि को अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। वहीं, बुध, बृहस्पति, शुक्र, सूर्य और चंद्रमा को शुभ ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है। शनि देव एक राशि में ढाई साल तक रहते हैं। इस दौरान शनि देव वक्री और मार्गी होते हैं। कई बार शनि देव अस्त भी होते हैं और फिर उदय भी होते हैं। इसका असर राशि के सभी भावों पर उनके भाव के अनुसार पड़ता है।
जब शनि देव लेते हैं परीक्षा
शनि की महादशा, शनि की ढैय्या और शनि की साढ़ेसाती के दौरान और शनि देव के चौथे भाव में होने पर जातक को जीवन में कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। शनि की साढ़ेसाती के दौरान जातक को अधिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान शनि देव तीन चरणों में जातक की परीक्षा लेते हैं। इसके अलावा अगर शनि देव किसी जातक की कुंडली के चौथे भाव में हों तो जातक को जीवन में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ज्योतिषियों के अनुसार, जब शनि कुंडली के चौथे भाव में होता है तो जातक का अपनी मां से अलगाव हो जाता है। इसके साथ ही घर से जुड़े कामों में असफलता मिलती है। साथ ही शरीर में पानी का संतुलन बिगड़ जाता है। ज्योतिष शास्त्र में वर्णित है कि चतुर्थ भाव में शनि से पीड़ित व्यक्ति का जीवन बहुत कष्टमय होता है। हालांकि शनि की राशि मकर, कुंभ, तुला और मीन होने पर कष्ट कम होता है। इसलिए चतुर्थ भाव में शनि से पीड़ित जातकों को सदैव शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।