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वीडियो में जानिए कैसे 'ॐ नमः शिवाय' के पाँच अक्षरों में समाया है सृष्टि और मोक्ष का रहस्य ?

वीडियो में जानिए कैसे 'ॐ नमः शिवाय' के पाँच अक्षरों में समाया है सृष्टि और मोक्ष का रहस्य ?

भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की जड़ें अत्यंत गहरी और रहस्यमयी हैं। इनमें मंत्रों का विशेष स्थान है। इन्हीं में से एक है — शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, बल्कि इसमें ब्रह्माण्ड की संरचना, पंचतत्वों का रहस्य और आत्मा के मोक्ष की राह छिपी हुई है। सदियों से साधक, ऋषि-मुनि और योगी इस महामंत्र का जाप कर अपने जीवन को सफल, शांत और दिव्य बनाते आए हैं।


शिव पंचाक्षर मंत्र क्या है?
"ॐ नमः शिवाय" — यह पांच अक्षरों का मंत्र (न-म-शि-वाय) है, जिसे पंचाक्षर मंत्र कहा जाता है। इसे शिव का बीज मंत्र भी कहा जाता है, जो भगवान शिव के पांच प्रमुख तत्वों और ब्रह्माण्डीय शक्तियों से जुड़ा हुआ है। यह मंत्र न केवल भगवान शिव की स्तुति है, बल्कि आत्मा और परमात्मा के बीच सेतु का कार्य करता है।

पंचाक्षर मंत्र और पंचतत्वों का संबंध
प्राचीन हिन्दू दर्शन के अनुसार, हमारा शरीर और यह ब्रह्माण्ड पांच तत्वों से बना है — पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। "ॐ नमः शिवाय" के प्रत्येक अक्षर का संबंध एक-एक तत्व से है:

न – पृथ्वी (स्थिरता, जीवन का आधार)
म – जल (भावना, प्रवाह)
शि – अग्नि (ऊर्जा, परिवर्तन)
वा – वायु (गति, विचार)
य – आकाश (शून्यता, ब्रह्माण्ड की गहराई)

जब यह मंत्र बोला या जपा जाता है, तो यह हमारे शरीर और चेतना में इन पांचों तत्वों को संतुलित करता है। इस संतुलन से ही आध्यात्मिक उन्नति, मानसिक शांति और अंततः मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है।

ॐ नमः शिवाय: वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण
विज्ञान भी अब स्वीकार कर रहा है कि ध्वनि की एक विशेष ऊर्जा होती है। जब हम "ॐ नमः शिवाय" का उच्चारण करते हैं, तो इससे उत्पन्न कंपन मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है।
यह मस्तिष्क की अल्फा वेव्स को सक्रिय करता है, जिससे ध्यान केंद्रित होता है।
इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और चेतना का स्तर ऊंचा होता है।
रोजाना मंत्र जाप से तनाव, डिप्रेशन और चिंता जैसी मानसिक समस्याओं में राहत मिलती है।
आध्यात्मिक रूप से यह मंत्र आत्मा को ईश्वर से जोड़ने का माध्यम है। इसका नियमित जाप साधक को सांसारिक मोह से ऊपर उठाकर उसे मोक्ष की ओर ले जाता है।

मोक्ष की ओर पहला कदम — शिव मंत्र का जाप
सनातन दर्शन के अनुसार, मोक्ष का अर्थ है — जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्ति। यह तभी संभव है जब आत्मा अपने वास्तविक स्वरूप को पहचाने और भगवान से एक हो जाए।

शिव पंचाक्षर मंत्र उसी दिशा में पहला कदम है। इसका जाप करने से:
कर्मों का शुद्धिकरण होता है।
मन की वासनाएँ शांत होती हैं।
अहंकार और द्वंद्व मिटते हैं।
आत्मा अपने सच्चे स्वभाव की ओर अग्रसर होती है।

जाप की विधि और समय
शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप कभी भी किया जा सकता है, परंतु ब्राह्म मुहूर्त (प्रातः 4 से 6 बजे के बीच) को सर्वोत्तम माना गया है। जाप के दौरान:
शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
शिवलिंग या महादेव की मूर्ति के सामने बैठें।
मन को स्थिर करें और 108 बार जाप करें (माला से)।
प्रतिदिन कम से कम 15 मिनट इसका अभ्यास करें।
कुछ ही दिनों में साधक अनुभव करता है कि उसका मन शांत हो रहा है, विचार शुद्ध हो रहे हैं और आत्मा भीतर से प्रसन्नता का अनुभव कर रही है।

मंत्र जाप के अनुभव और परिवर्तन
जो लोग वर्षों से शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप करते आ रहे हैं, उनके अनुभव बताते हैं कि:
उनके जीवन में संकट कम हुए हैं।
कार्यों में सफलता मिलने लगी है।
उन्हें आंतरिक शांति और निर्भयता प्राप्त हुई है।
शरीर और मन दोनों ऊर्जावान रहते हैं।
कुछ साधक तो इसे भगवान शिव की सीधी उपस्थिति का अनुभव भी बताते हैं।

निष्कर्ष
"ॐ नमः शिवाय" कोई साधारण मंत्र नहीं, यह ब्रह्माण्डीय ऊर्जा का प्रवेश द्वार है। इसमें संपूर्ण सृष्टि का सार, आत्मा की मुक्ति का मार्ग और जीवन की शांति का मंत्र छिपा है। इसका जाप न केवल आध्यात्मिक रूप से, बल्कि मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से भी व्यक्ति को समृद्ध करता है।यदि आप जीवन में गहराई, संतुलन और मोक्ष की खोज में हैं, तो शिव पंचाक्षर मंत्र का नियमित जाप आपके लिए एक दिव्य मार्ग बन सकता है।

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