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रामेश्वरम से मल्लिकार्जुन तक 3 मिनट के वीडियो में जानिए दक्षिण भारत के उन पवित्र ज्योतिर्लिंगों की कहानी जो बदल देते हैं भाग्य

रामेश्वरम से मल्लिकार्जुन तक 3 मिनट के वीडियो में जानिए दक्षिण भारत के उन पवित्र ज्योतिर्लिंगों की कहानी जो बदल देते हैं भाग्य

भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता में भगवान शिव का स्थान अत्यंत विशिष्ट है। शिव की पूजा देश के हर कोने में होती है, लेकिन दक्षिण भारत में स्थित ज्योतिर्लिंगों की महिमा अलग ही है। ये न केवल धार्मिक श्रद्धा के केंद्र हैं, बल्कि चमत्कारी अनुभवों और अद्भुत मान्यताओं से भी जुड़े हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और भक्तों को मानसिक शांति, रोगों से मुक्ति और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।इस लेख में हम जानेंगे दक्षिण भारत के पांच सबसे प्रसिद्ध, चमत्कारी और दिव्य ज्योतिर्लिंगों के बारे में, जो हर शिवभक्त की आस्था और श्रद्धा का केंद्र हैं।


1. रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग (तमिलनाडु)
रामेश्वरम् ज्योतिर्लिंग दक्षिण भारत का सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जिसे भगवान राम ने स्वयं स्थापित किया था। रामायण के अनुसार, लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना करके पूजा की थी ताकि वे रावण से युद्ध में विजयी हों। यहां का वातावरण समुद्र की लहरों से युक्त, भक्तों को एक अलौकिक ऊर्जा का अनुभव कराता है।यहां विशेष परंपरा है कि भक्त पहले 22 कुओं के जल से स्नान करते हैं और फिर शिवलिंग के दर्शन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह प्रक्रिया पापों का शमन करती है और मोक्ष की ओर ले जाती है।

2. मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (आंध्र प्रदेश)
सृष्टि के निर्माता शिव और शक्ति के मिलन का स्थान है श्रीशैल पर्वत स्थित मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग। यह एकमात्र ऐसा स्थल है जहाँ ज्योतिर्लिंग और शक्ति पीठ दोनों एक ही स्थान पर स्थित हैं।कथा के अनुसार, माता पार्वती और शिव के पुत्र कार्तिकेय को मनाने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती स्वयं यहां आए थे। यही कारण है कि यह स्थान अत्यंत शक्तिशाली और चमत्कारी माना जाता है। यहां दर्शन करने से पारिवारिक सुख, सौभाग्य और जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।

3. भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (कर्नाटक/महाराष्ट्र सीमा)
हालांकि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग की दो मान्यताएं हैं—एक महाराष्ट्र में स्थित और दूसरी कर्नाटक में। दक्षिण भारत के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो कर्नाटक स्थित भीमाशंकर को भी श्रद्धालुओं द्वारा प्रमुखता दी जाती है।यहां की मान्यता है कि राक्षस भीम ने जब देवताओं को सताना शुरू किया, तब भगवान शिव ने उसका वध कर इस स्थान को पवित्र बनाया। घने जंगलों में स्थित यह मंदिर आज भी पर्यावरण और अध्यात्म का अद्भुत संगम है। यहां आने वाले भक्तों को मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति का अनुभव होता है।

4. सोमनाथेश्वर ज्योतिर्लिंग (केरल में समकक्ष मान्यता)
हालांकि मूल सोमनाथ ज्योतिर्लिंग गुजरात में स्थित है, लेकिन केरल में त्रिस्सूर के पास स्थित सोमनाथेश्वर मंदिर को भी अद्वितीय चमत्कारी शक्ति से युक्त माना गया है। यहां शिव को सोम (चंद्रमा) रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि चंद्रदेव ने यहां तप करके शिव की कृपा प्राप्त की थी।यह मंदिर रोग निवारण और मानसिक संतुलन की शक्ति के लिए प्रसिद्ध है। श्रद्धालु कहते हैं कि यहां की घंटियों की ध्वनि में ही ऐसी ऊर्जा है जो तनाव और मानसिक थकान को हर लेती है।

5. काशी विश्वेश्वरर मंदिर, तंजावुर (तमिलनाडु)
तंजावुर में स्थित काशी विश्वेश्वरर मंदिर को दक्षिण का काशी कहा जाता है। यहां भगवान शिव की उपासना का तरीका उत्तर भारत से अलग है, लेकिन शक्ति उतनी ही प्रबल है। यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्भुत मेल है।ऐसा विश्वास है कि यहां नियमित दर्शन और जलाभिषेक करने से पूर्वज दोष, कालसर्प योग और ग्रह बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। दक्षिण भारत के भक्त इस मंदिर को जीवन का अभिन्न हिस्सा मानते हैं।

निष्कर्ष:
दक्षिण भारत के ये पाँच ज्योतिर्लिंग केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि ऊर्जा, आस्था और चमत्कारों की जीवंत मिसाल हैं। यहां हर दिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, और कई अपनी समस्याओं से मुक्ति पाकर लौटते हैं। इन स्थलों की शक्ति केवल पौराणिक मान्यताओं में नहीं, बल्कि भक्तों के अनुभवों में भी झलकती है।यदि आप भी अपने जीवन में शांति, समाधान और आध्यात्मिक ऊर्जा की तलाश में हैं, तो इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन एक बार अवश्य करें।

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