जानिए संगति का प्रभाव कैसे पड़ता है व्यक्ति के जीवन में
हर व्यक्ति के जीवन में उसके आस पास का वातावरण बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता हैं वही व्यक्ति के स्वभाव पर वातावरण का प्रभाव देखने को मिलता हैं वही आसपास का वातावरण किस तरह का हैं इस बात का व्यक्ति के जीवन में व्यापक असर पड़ता हैं वही अच्छी संगति में अच्छा सीखने को मिलता हैं वही बुरी संगत में हमेशा ही बुरा ही सीखने को मिलता हैं इन बातों का जिक्र हिंदू धर्म के महान ग्रंथ रामचरितमानस में भी किया गया हैं।
वही बता दें कि रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने इस बात का जिक्र किया हैं व्यक्ति के स्वभाव पर उसके संगती का विशेष प्रभाव पड़ता हैं तुलसीदास जी लिखते हैं।
गगन चढ़इ रज पवन प्रंसगा । कीचहिं मिलइ नीच जल संगा।।
साधु असाधु सदन सुक सारीं । सुमिरहिं राम देहिं गनि गारीं।।
वही जिस तरह से हवा के साथ मिलकर धूल आंधी का असर आकाश तक होता हैं और मिट्टी में जल मिलकर कीचड़ बन जाता हैं, ठीक उसी तरह का असर व्यक्ति के जीवन में संगत का होता हैं। वही जैसे साधु के घर पर तोता मौना परमात्मा का नाम जपते हैं और असाधु के घर में तोता मैना गिन गिन कर गालियां देते हैं। हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं में एक कथा का वर्णन भी किया हैं जिसमें दो तोता का जिक्र हैं। जो हम आपको बताने जा रहे हैं।
बता दें कि दो तोता एक साथ रहते हैं मगर कुछ समय बाद उनमें से एक तोता साधु सन्यासियों के साथ रहता हैं और दूसरा तोता डाकुओं के साथ रहने लगता हैं। वही साधु सन्यासियों के साथ रहने वाला तोता दिन रात भगवान का नाम रटता रहता हैं वही डाकुओं के साथ रहने वाला तोता अशब्दों का प्रयोग करने लगता हैं। वही वातावरण का बड़ा ही व्यापक असर व्यक्ति के जीवन पर भी पड़ता हैं अच्छी संगति का होना बहुत ही आवश्यक होता हैं

