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शिव रुद्राष्टकम का प्रतिदिन करते है पाठ लेकिन नहीं मिल रहा पूर्ण फल, तो वीडियो में देखे कही आप भी तो नहीं कर रह ये गलतियां 

शिव रुद्राष्टकम का प्रतिदिन करते है पाठ लेकिन नहीं मिल रहा पूर्ण फल, तो वीडियो में देखे कही आप भी तो नहीं कर रह ये गलतियां 

भगवान शिव की स्तुति और आराधना के लिए अनेक मंत्र, स्तोत्र और भजन प्रचलित हैं। इन्हीं में से एक है – 'रुद्राष्टकम स्तोत्र'। यह स्तोत्र संस्कृत के प्रसिद्ध कवि और संत तुलसीदास जी द्वारा रचित है, जिसमें भगवान रुद्र अर्थात शिव की महिमा का सुंदर वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र का पाठ करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न होते हैं और साधक को आरोग्य, समृद्धि, शांति और अकाल मृत्यु से रक्षा जैसे लाभ प्राप्त होते हैं।हालांकि, कई बार भक्त पूरी श्रद्धा से रुद्राष्टकम का पाठ करते हैं, लेकिन उन्हें इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। इसका प्रमुख कारण है – पाठ करते समय बरती जाने वाली सावधानियों की अनदेखी। शास्त्रों और धर्मग्रंथों में कुछ नियम और मर्यादाएं बताई गई हैं, जिनका पालन न करने पर शिवजी की कृपा में बाधा आ सकती है।


क्यों जरूरी है सावधानी?
भगवान शिव "भाव के भूखे" हैं, लेकिन मंत्र और स्तोत्र पाठ में शुद्धता, नियम और अनुशासन भी उतना ही आवश्यक होता है। खासकर रुद्राष्टकम जैसे स्तोत्र का पाठ करते समय यदि विधि-विधान का पालन न किया जाए, तो साधना अधूरी मानी जाती है। आइए जानते हैं वे प्रमुख सावधानियां, जिन्हें नजरअंदाज करने पर जाप का पूर्ण फल नहीं मिलता:

1. शुद्ध उच्चारण का रखें ध्यान
रुद्राष्टकम संस्कृत में रचित है, जिसके प्रत्येक श्लोक का अर्थ गहराई से शिव की महिमा को दर्शाता है। गलत उच्चारण से मंत्र का प्रभाव घटता है और कभी-कभी उसका विपरीत असर भी पड़ सकता है। पाठ करते समय श्लोकों का सही उच्चारण अत्यंत आवश्यक है।

2. नहाकर और स्वच्छ वस्त्र पहनकर करें पाठ
पवित्रता का ध्यान रखना अनिवार्य है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद ही भगवान शिव की आराधना करें। अशुद्ध अवस्था में किया गया पाठ फल नहीं देता।

3. एकाग्रता और श्रद्धा बनाए रखें
पाठ के समय मन को इधर-उधर न भटकने दें। रुद्राष्टकम का पाठ करते समय पूर्ण एकाग्रता, आस्था और भक्ति के साथ भगवान शिव का ध्यान करें। यंत्रवत पाठ करने से केवल शब्द निकलते हैं, उसका भाव और ऊर्जा नहीं।

4. दैनिक नियम बनाएं
यदि आप प्रतिदिन रुद्राष्टकम का पाठ करते हैं तो एक निश्चित स्थान, समय और आसन निश्चित करें। इससे साधना में स्थिरता आती है और शिवजी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

5. शिवलिंग के सामने करें पाठ
संभव हो तो शिवलिंग या शिव चित्र के सामने बैठकर पाठ करें। इससे ध्यान अधिक केंद्रित रहता है और ऊर्जा का प्रवाह शिव की ओर होता है।

6. अशुभ समय में पाठ से बचें
रात्रि के अशुभ समय या मृत्युभोज, अशौच आदि जैसे अशुद्ध अवसरों पर रुद्राष्टकम का पाठ न करें। ये समय ध्यान और जप के लिए वर्जित माने गए हैं।

7. मांस-मदिरा और तामसिक भोजन से परहेज
रुद्राष्टकम जैसे पवित्र स्तोत्र का पाठ करने से पहले और बाद में शुद्ध सात्विक आहार लें। मांसाहार, मदिरा और नशा शिव उपासना में बाधा उत्पन्न करते हैं।

8. शिव नाम का जप करें अंत में
पाठ के अंत में ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जप अवश्य करें। इससे शिव आराधना पूर्ण मानी जाती है और रुद्राष्टकम के फल की पुष्टि होती है।

रुद्राष्टकम का पाठ केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि और ऊर्जा का माध्यम है। यदि इसे श्रद्धा, नियम और सावधानी से किया जाए, तो भगवान शिव प्रसन्न होकर साधक की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। इसलिए अगली बार जब आप शिव स्तुति में बैठें, तो इन सावधानियों को जरूर ध्यान में रखें। यही आपका मंत्र सिद्धि की ओर पहला कदम हो सकता है।

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