गृह कलह से परेशान हैं तो सावन में पति-पत्नी साथ मिलकर करें रुद्राष्टकम का पाठ, 2 मिनट के अध्यात्मिक वीडियो में जाने चमत्कारी लाभ
सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना के लिए विशेष रूप से माना गया है। यह महीना न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि दाम्पत्य जीवन की समस्याओं से छुटकारा पाने और वैवाहिक रिश्तों में प्रेम, समर्पण और सौहार्द बढ़ाने का भी उत्तम समय है। कहा जाता है कि इस दौरान भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, और यदि पति-पत्नी मिलकर श्रद्धा से शिव उपासना करें, विशेष रूप से श्री रुद्राष्टकम का पाठ करें, तो उनके जीवन से समस्त गृह क्लेश समाप्त हो सकते हैं।
क्या है श्री रुद्राष्टकम?
श्री रुद्राष्टकम संस्कृत में लिखा गया एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है, जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। इसमें भगवान शिव के रौद्र और शांत दोनों रूपों की वंदना की गई है। यह अष्टक भगवान शिव की महिमा, स्वरूप और उनके प्रति पूर्ण समर्पण का प्रतीक है। रुद्राष्टकम का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक बल प्राप्त होता है।
क्यों करें सावन में पति-पत्नी मिलकर रुद्राष्टकम का पाठ?
पति-पत्नी यदि साथ में रुद्राष्टकम का पाठ करें तो इससे उनका आपसी सामंजस्य बढ़ता है। यह पाठ न केवल घर के वातावरण को सकारात्मक बनाता है बल्कि आपसी रिश्तों में आई दूरियों को भी कम करता है। शिव और पार्वती स्वयं आदर्श दाम्पत्य जीवन के प्रतीक हैं। उनकी आराधना करना वैवाहिक जीवन को स्थिरता और मधुरता देने वाला होता है।
रुद्राष्टकम पाठ के लाभ
गृह क्लेश से मुक्ति: रोजाना सुबह या शाम को मिलकर रुद्राष्टकम का पाठ करने से घर के झगड़े और तनाव दूर होते हैं।
पारिवारिक सुख-शांति: घर के सभी सदस्य मानसिक रूप से शांत और सकारात्मक रहते हैं।
आपसी समझ बढ़ती है: पति-पत्नी के बीच प्रेम, सहयोग और समझ का विकास होता है।
धन और समृद्धि का आगमन: शिव कृपा से आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है।
संतान सुख की प्राप्ति: जो दंपत्ति संतान की इच्छा रखते हैं, उन्हें भी इसका लाभ मिल सकता है।
पाठ की विधि
सावन के किसी भी सोमवार या प्रतिदिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान शिव का जलाभिषेक करें और बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, फूल आदि अर्पित करें।
इसके बाद एक साथ बैठकर शांत वातावरण में श्री रुद्राष्टकम का पाठ करें।
पाठ के अंत में शिव मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जप करें।
कौन-कौन कर सकता है ये पाठ?
यह पाठ किसी भी आयु के व्यक्ति द्वारा किया जा सकता है, लेकिन यदि पति-पत्नी एक साथ मिलकर इसे करें, तो इसका प्रभाव कई गुना अधिक हो जाता है। यह न केवल वैवाहिक जीवन को सुदृढ़ करता है, बल्कि बच्चों और परिवार पर भी सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव डालता है।

