धन की कमी से जूझ रहे है या बीमारियों ने घेरा घर तो करे मां भगवती के इस चमत्कारी स्तोत्र का पाठ, वीडियो में जानिए अद्भुत लाभ
वर्तमान समय में हर दूसरा व्यक्ति किसी न किसी समस्या से घिरा हुआ है। कोई आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, तो कोई बार-बार घर में बीमारियों, अशांति या दुर्भाग्य का सामना कर रहा है। ऐसे हालात में जब सभी उपाय निष्फल प्रतीत होते हैं, तब एकमात्र सहारा बनती हैं मां भगवती, जो सृष्टि की ऊर्जा, शक्ति और करुणा का प्रतीक हैं। मां दुर्गा के स्त्रोतों में भगवती स्तोत्र को विशेष शक्तिशाली और प्रभावी माना गया है। यह पाठ न केवल मानसिक शांति देता है बल्कि घर में सुख-समृद्धि, धन और स्वास्थ्य की ऊर्जा का संचार करता है।
क्या है मां भगवती स्तोत्र?
मां भगवती स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली देवी स्तुति है जो ऋषि मार्कंडेय द्वारा रचित मानी जाती है। इसे दुर्गा सप्तशती और चंडी पाठ के साथ पढ़ा जाता है, लेकिन स्वतंत्र रूप से इसका पाठ भी अत्यंत लाभकारी होता है। इसमें मां दुर्गा के विभिन्न रूपों, शक्तियों और लीलाओं का वर्णन होता है।
अगर धन की कमी है तो करें ये उपाय
धन की समस्या आज के समय में आम होती जा रही है। खर्च बढ़ते जा रहे हैं लेकिन आमदनी स्थिर है। यदि आपको ऐसा लग रहा है कि घर में लक्ष्मी का आगमन नहीं हो रहा या मेहनत के बावजूद आर्थिक तंगी बनी रहती है, तो मां भगवती स्तोत्र का नियमित पाठ करें।
लाभ:
अचानक धन लाभ के योग बनते हैं
रुका हुआ पैसा वापस मिलने लगता है
व्यापार में वृद्धि होती है
नौकरी में प्रमोशन और नई संभावनाएं खुलती हैं
बार-बार बीमारियां? तो करें भगवती स्तोत्र का पाठ
घर में जब बार-बार कोई सदस्य बीमार पड़ने लगे, या दवाइयों के बाद भी सुधार न हो रहा हो, तो इसका एक बड़ा कारण घर में नकारात्मक ऊर्जा या अशुद्ध वायुमंडल हो सकता है। मां भगवती के स्तोत्र का पाठ करने से यह नकारात्मकता दूर होती है।
लाभ:
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार
रोगों से लड़ने की शक्ति में वृद्धि
वातावरण शुद्ध और सकारात्मक होता है
मानसिक तनाव में कमी
मां भगवती स्तोत्र पाठ की विधि
स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
घर के पूजा स्थल की सफाई करें और वहां दीपक जलाएं।
मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने आसन पर बैठें।
पहले गणेश जी का स्मरण करें, फिर नवग्रहों और कुलदेवी का ध्यान करें।
अब भगवती स्तोत्र का पाठ करें। यह संस्कृत में होता है, इसलिए सही उच्चारण के लिए ऑडियो या पुस्तिका का सहारा लें।
पाठ के बाद मां को लाल फूल, सिंदूर और नैवेद्य अर्पित करें।
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" का 108 बार जाप करें।
अंत में आरती करें और सभी परिजनों को प्रसाद वितरित करें।
पाठ का समय और अवधि
सुबह ब्रह्ममुहूर्त (4–6 बजे) सबसे शुभ माना गया है।
यदि समय न हो तो सूर्योदय के बाद भी पाठ किया जा सकता है।
सप्ताह में मंगलवार या शुक्रवार को प्रारंभ करें।
9, 11 या 21 दिनों तक लगातार पाठ करें तो विशेष फल मिलता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लाभ
ज्योतिष में राहु, केतु और शनि की अशुभ दृष्टि घर में रोग, दरिद्रता और अशांति का कारण बनती है। मां भगवती स्तोत्र का पाठ इन ग्रहों के दुष्प्रभाव को शांत करता है। यह पाठ विशेष रूप से तब करना चाहिए जब:
कुंडली में चांडाल योग हो
शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो
ग्रहण योग बना हो
राहु-केतु का अशुभ गोचर हो
जब जीवन में सब कुछ हाथ से फिसलता प्रतीत हो — आर्थिक तंगी, बीमारी, पारिवारिक कलह — तब मां भगवती ही एकमात्र सहारा बनती हैं। उनका स्तोत्र पाठ न केवल साधना है, बल्कि आत्मबल और ऊर्जा का ऐसा स्रोत है जो जीवन को नई दिशा देता है। अगर आप निरंतर प्रयासों के बाद भी संतुष्टि नहीं पा रहे हैं, तो एक बार मां भगवती के चरणों में मन लगाकर यह पाठ अवश्य करें।“मां भगवती की आराधना से असंभव भी संभव हो जाता है – विश्वास और श्रद्धा से किया गया पाठ जीवन में चमत्कार ला सकता है।”

