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घर में हो रहे रोजाना के कलेश से आ चुके है तंग तो प्रतिदिन करे शिव पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ, महादेव से मिलेगा असीम शांति का वरदान 

घर में हो रहे रोजाना के कलेश से आ चुके है तंग तो प्रतिदिन करे शिव पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ, महादेव से मिलेगा असीम शांति का वरदान 

आज के समय में भागदौड़ भरी जिंदगी, तनाव, असंतुलन और पारिवारिक कलह ने हर घर में अशांति को जन्म दे दिया है। कई बार बिना किसी बड़ी वजह के भी घर का वातावरण बोझिल और तनावपूर्ण हो जाता है। अगर आप भी रोजाना के घरेलू कलेश से परेशान हो चुके हैं और अपने घर में शांति, सुख और सौहार्द चाहते हैं, तो आपके लिए एक सरल और अत्यंत प्रभावशाली उपाय है — भगवान शिव के पंचाक्षरी स्तोत्र का नियमित पाठ।सनातन धर्म में भगवान शिव को ‘भोलेनाथ’ कहा गया है, जो भक्तों की सरल भावना मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी आराधना से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि पारिवारिक जीवन में भी सुख-शांति का स्थायी वास होता है।


क्या है पंचाक्षरी स्तोत्र?
पंचाक्षरी स्तोत्र भगवान शिव के पवित्र पांच अक्षरों ‘न’ ‘म’ ‘शि’ ‘वा’ ‘य’ — अर्थात 'नमः शिवाय' मंत्र पर आधारित है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित यह स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का अद्भुत वर्णन करता है। हर श्लोक में भगवान शिव के किसी स्वरूप, गुण और शक्तियों का गान किया गया है।पाठ करने वाला साधक न केवल अपनी समस्याओं से मुक्ति पाता है बल्कि घर-परिवार में सौहार्द, प्रेम और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।

पंचाक्षरी स्तोत्र पाठ के लाभ
1. घर के वातावरण में आता है सौहार्द

जब प्रतिदिन पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ पूरे श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है, तो घर का वातावरण स्वतः ही शांत और सौहार्दपूर्ण बनने लगता है। नकारात्मकता का प्रभाव कम होता है और सद्भाव बढ़ता है।

2. मानसिक तनाव होता है दूर
अक्सर घरेलू कलह का मुख्य कारण मानसिक तनाव होता है। पंचाक्षरी स्तोत्र के उच्चारण से मन को अद्भुत शांति मिलती है, जिससे छोटी-छोटी बातों पर होने वाला टकराव भी धीरे-धीरे समाप्त होने लगता है।

3. नकारात्मक ऊर्जा का होता है नाश
जहां भगवान शिव के मंत्रों का जाप होता है, वहां नकारात्मक शक्तियां टिक नहीं सकतीं। पंचाक्षरी स्तोत्र का प्रभाव घर में व्याप्त किसी भी बुरी शक्ति या बुरी नजर के प्रभाव को समाप्त कर देता है।

4. घर में सुख-समृद्धि का वास
शिवजी की कृपा से न केवल पारिवारिक कलह समाप्त होता है बल्कि आर्थिक संकट भी दूर होते हैं। घर में स्थायी सुख, समृद्धि और उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

5. पारिवारिक सदस्यों के बीच बढ़ती है समझदारी
शिव पंचाक्षरी स्तोत्र का प्रभाव हमारे व्यवहार पर भी पड़ता है। साधक में सहनशीलता, करुणा और प्रेम जैसे गुणों का विकास होता है, जिससे घर के अन्य सदस्यों के साथ रिश्ते मधुर बनते हैं।

पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
घर के पूजा स्थान पर दीपक और धूप जलाएं।
भगवान शिव का जलाभिषेक करें या जल अर्पित करें।
'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का स्मरण करते हुए शांत मन से पंचाक्षरी स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ के बाद भगवान शिव से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
सप्ताह में एक दिन सोमवार को व्रत रखकर विशेष पूजा करें, इससे पुण्य फल कई गुना बढ़ता है।

ध्यान रखने योग्य बातें
पाठ करते समय शुद्ध उच्चारण और सच्चे भाव से पढ़ना चाहिए।
जल्दबाजी या औपचारिकता से किया गया पाठ फलदायी नहीं होता।
परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस पाठ में शामिल करें, ताकि सामूहिक सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण हो।
सप्ताह में एक बार रुद्राभिषेक करवा पाएं तो उत्तम रहेगा।

निष्कर्ष
अगर आप अपने घर में हर दिन बढ़ते तनाव, कलह और नकारात्मकता से परेशान हैं, तो अब देर न करें। प्रतिदिन भगवान शिव के पंचाक्षरी स्तोत्र का श्रद्धा और नियमपूर्वक पाठ शुरू करें। आप स्वयं अनुभव करेंगे कि कैसे धीरे-धीरे घर का वातावरण सौम्य, मधुर और शांतिपूर्ण बनता चला जाएगा। महादेव की कृपा से जीवन में सुख, शांति और अपार समृद्धि का वास होगा।

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