नवरात्री में कैसे करें श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ ? वायरल फुटेज में जाने विधि, लाभ और जरूरी सावधानियां
नवरात्री हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की पूजा और भक्ति का प्रमुख पर्व है। यह नौ दिन का उत्सव न केवल आध्यात्मिक शांति का माध्यम है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दौरान भक्त विशेष रूप से श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करते हैं, जिसे मां दुर्गा की स्तुति और आराधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
श्री भगवती स्तोत्रम् का महत्व
श्री भगवती स्तोत्रम् में माता के नौ रूपों—शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, दुर्गा और तारा—की स्तुति की गई है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, आत्मविश्वास में वृद्धि और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और धन-संपत्ति में वृद्धि करने का भी माध्यम है।
पाठ की विधि
नवरात्री में श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए सबसे पहले सुबह या संध्या के समय एक स्वच्छ स्थान पर पूजा स्थल स्थापित करें। वहां मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर रखें और दीपक जलाएं। इसके बाद गणेश जी का संक्षिप्त स्तोत्र या आह्वान कर स्तोत्र का पाठ शुरू करें। पाठ करते समय मन को पूर्ण रूप से एकाग्र रखें और माता के नाम का उच्चारण श्रद्धा और भक्ति भाव से करें।आमतौर पर स्तोत्र का पाठ 9 या 11 बार करना शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, नवरात्रि के प्रत्येक दिन माता के विशेष रूप को ध्यान में रखते हुए पाठ करने से और अधिक लाभ प्राप्त होते हैं। पाठ के बाद आरती करें और मां को नवरात्रि के अनुसार फल, फूल और प्रसाद अर्पित करें।
लाभ
श्री भगवती स्तोत्रम् के नियमित पाठ से कई आध्यात्मिक और सांसारिक लाभ होते हैं। मानसिक शांति और तनाव मुक्ति के साथ-साथ जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। साथ ही, यह आर्थिक स्थिरता, परिवार में खुशहाली और कार्यक्षेत्र में सफलता दिलाने में भी सहायक माना जाता है। शत्रु, बुरी नजर और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा पाने के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावकारी है।
सावधानियां
स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ सावधानियां अवश्य अपनानी चाहिए। पाठ के दौरान मोबाइल या किसी अन्य प्रकार की व्याकुलता से बचें। अनियंत्रित शब्दों या गलत उच्चारण से स्तोत्र का प्रभाव कम हो सकता है। यदि संभव हो तो नियमित स्नान करके और स्वच्छ वस्त्र पहनकर ही पाठ करें। साथ ही, भोजन में अत्यधिक तेल-मसाले वाले या मांसाहारी भोजन से परहेज करना अधिक शुभ माना जाता है।

