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गणेशाष्टकम स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए? जानिए पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए मंत्रों की सही संख्या और समय

गणेशाष्टकम स्तोत्र का पाठ कितनी बार करना चाहिए? जानिए पूर्ण फल की प्राप्ति के लिए मंत्रों की सही संख्या और समय

भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की वंदना से की जाती है। धार्मिक ग्रंथों में गणेश जी की महिमा का वर्णन अनेक स्तोत्रों और मंत्रों में मिलता है, लेकिन “गणेशाष्टकम स्तोत्र” एक अत्यंत प्रभावशाली और श्रद्धा से परिपूर्ण रचना मानी जाती है। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में रचा गया है और इसमें भगवान गणेश की आठ स्तुति श्लोकों के माध्यम से भावपूर्ण वंदना की गई है।


क्या है गणेशाष्टकम स्तोत्र?
गणेशाष्टकम स्तोत्र एक ऐसा दिव्य स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के स्वरूप, उनके गुण, उनके वाहन मूषक, उनकी बुद्धिमत्ता, कृपा और भक्तों के प्रति उनके स्नेह का सुंदर वर्णन है। इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से विघ्न दूर होते हैं और उसे आत्मिक शांति, मानसिक स्थिरता और सफलता की प्राप्ति होती है।

कितनी बार करें पाठ, ताकि मिले पूर्ण फल?
शास्त्रों और संतों की मान्यता के अनुसार, किसी भी स्तोत्र या मंत्र का प्रभाव उसके उच्चारण, भावना और नियमितता पर निर्भर करता है। लेकिन गणेशाष्टकम स्तोत्र के विषय में यह विशेष माना जाता है कि यदि इसे नियमपूर्वक प्रतिदिन 11 बार पाठ किया जाए, तो यह भक्त को सभी प्रकार के विघ्नों से मुक्ति दिलाकर पूर्ण फल की प्राप्ति कराता है। कुछ विद्वानों के अनुसार, 21 बार या 108 बार पाठ विशेष अवसरों जैसे गणेश चतुर्थी, संकष्टी चतुर्थी या बुधवार को करने से अत्यधिक फल की प्राप्ति होती है।

किस समय करें पाठ?
गणेशाष्टकम का पाठ प्रातःकाल स्नान के बाद शुद्ध वातावरण में करना अत्यंत फलदायी माना गया है। यदि संभव हो, तो भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाकर, चंदन, दूर्वा और मोदक अर्पण करते हुए पाठ करें। बुधवार, चतुर्थी तिथि, और गणेशोत्सव के दौरान यह पाठ विशेष लाभकारी होता है।

क्या मिलते हैं पाठ से लाभ?
गणेशाष्टकम स्तोत्र के नियमित पाठ से निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:
बुद्धि और विवेक की वृद्धि: विद्यार्थी, प्रतियोगी परीक्षा देने वाले और शोधकर्ता इस स्तोत्र का लाभ उठा सकते हैं।
कार्य में सफलता: नौकरी, व्यापार या किसी भी कार्य की शुरुआत में पाठ करने से कार्य निर्विघ्न पूर्ण होता है।
संकटों से मुक्ति: जीवन में आने वाले अनचाहे अवरोध दूर होते हैं।
धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ: आत्मा को शुद्ध करने और ईश्वर से जुड़ाव के लिए यह स्तोत्र अत्यंत उपयुक्त है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी उपयोगी
हाल के वर्षों में हुए शोध बताते हैं कि मंत्रों और स्तोत्रों के उच्चारण से मानसिक शांति, एकाग्रता और न्यूरोलॉजिकल संतुलन में सुधार होता है। गणेशाष्टकम का पाठ एक निश्चित लय और ध्वनि के माध्यम से व्यक्ति के मानसिक संतुलन को स्थिर करता है, जिससे वह तनाव और नकारात्मकता से बाहर निकलता है।

गणेशाष्टकम स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली आध्यात्मिक उपकरण है, जिसे श्रद्धा, नियमितता और भाव से किया जाए तो यह जीवन में आश्चर्यजनक सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। चाहे विद्यार्थी हों, नौकरीपेशा व्यक्ति हों या गृहस्थ – सभी के लिए यह स्तोत्र लाभकारी है। यदि प्रतिदिन 11 बार पाठ करना संभव न हो, तो कम से कम 3 या 5 बार नियमित रूप से श्रद्धापूर्वक इसका जप करें। भगवान गणेश की कृपा से आपके जीवन के सभी विघ्न दूर होंगे और आपको मिलेगी सफलता, शांति और समृद्धि।

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