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ऋषि मार्कंडेय द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से कैसे मिलती है मृत्यु पर विजय? वीडियो में जाने जाप विधि और लाभ 

ऋषि मार्कंडेय द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से कैसे मिलती है मृत्यु पर विजय? वीडियो में जाने जाप विधि और लाभ 

भारत की सनातन परंपरा में मंत्रों का विशेष महत्व रहा है, और उनमें भी "महामृत्युंजय मंत्र" को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक चेतना को जागृत करता है, बल्कि जीवन के भय, रोग और मृत्यु जैसे संकटों से भी रक्षा करता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिव्य और चमत्कारिक मंत्र की उत्पत्ति ऋषि मार्कंडेय ने की थी, जिन्हें भगवान शिव ने मृत्यु से अमरत्व का वरदान दिया था।


महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति और पौराणिक कथा

महामृत्युंजय मंत्र को "त्र्यंबकम् मंत्र" भी कहा जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद, यजुर्वेद और शिवपुराण में वर्णित है। पौराणिक कथा के अनुसार, बालक मार्कंडेय को यह वरदान प्राप्त था कि वह केवल 16 वर्ष तक जीवित रहेगा। जैसे-जैसे उनकी आयु पूरी होने लगी, उनके पिता ऋषि मृकंडु चिंतित हो उठे। तब बालक मार्कंडेय ने महादेव की तपस्या आरंभ की और महामृत्युंजय मंत्र का अत्यंत श्रद्धा से जाप करने लगे।जब यमराज उन्हें लेने आए, तो भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए और यमराज को रोककर मार्कंडेय को अमरत्व प्रदान किया। इस घटना के बाद यह मंत्र शिवभक्तों और जीवन की कठिन परिस्थितियों से जूझ रहे लोगों के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाने लगा।

महामृत्युंजय मंत्र – शाब्दिक अर्थ
ॐ त्र्यंबकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥

इस मंत्र का अर्थ है 
“हम त्रिनेत्र वाले भगवान शिव की उपासना करते हैं, जो सुगंधित हैं और समस्त जीवन को पोषण देने वाले हैं। जैसे खीरा बेल से अलग हो जाता है, वैसे ही हम मृत्यु के बंधनों से मुक्त हों, किंतु अमरत्व की ओर अग्रसर हों।”यह मंत्र जीवन और मृत्यु की गहराइयों को छूता है। इसमें केवल जीवन रक्षण की प्रार्थना नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धि, चेतना की जागृति और परम शांति की कामना है।

महामृत्युंजय मंत्र का आध्यात्मिक महत्व
महामृत्युंजय मंत्र को ‘जीवन रक्षक मंत्र’ कहा जाता है। यह एकमात्र वैदिक मंत्र है जिसे स्वयं देवताओं ने भगवान शिव की स्तुति के रूप में ग्रहण किया। इसे जाप करने से:

मानसिक और शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है
रोगों में शीघ्र लाभ होता है
दुर्घटनाओं और असमय मृत्यु के भय से रक्षा होती है
जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मबल की वृद्धि होती है।

ध्यान और साधना के समय इसका उच्चारण व्यक्ति के भीतर अद्भुत स्थिरता और शक्ति का संचार करता है।

नियमित जाप के चमत्कारिक लाभ
स्वास्थ्य लाभ:

महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप मानसिक शांति प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। कैंसर जैसे असाध्य रोगों में भी इसकी जाप चिकित्सा रूप में की जाती है।

मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि:
यह मंत्र आत्मा को भीतर से ताकत देता है, जिससे व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी संतुलन बनाए रखता है।

नकारात्मक ऊर्जा का नाश:
जहाँ इस मंत्र का जाप होता है, वहाँ की ऊर्जा शुद्ध होती है। घर, मंदिर या किसी शांत स्थान पर इसका जाप वातावरण को सकारात्मक बनाता है।

रोग और मृत्यु पर नियंत्रण:
विशेषतः किसी गंभीर बीमारी या ऑपरेशन से पहले यदि इस मंत्र का जाप किया जाए, तो चिकित्सा प्रक्रिया में सहायता मिलती है और रोगी की स्थिति में सुधार आता है।

रक्षा कवच का कार्य:
महामृत्युंजय मंत्र एक आत्मिक कवच का निर्माण करता है जो किसी भी अनहोनी, दुर्घटना या बुरी दृष्टि से रक्षा करता है।

जाप की विधि और नियम
इस मंत्र का जाप प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में किया जाना श्रेष्ठ माना जाता है।
मंत्र का उच्चारण शुद्ध, स्पष्ट और ध्यान सहित होना चाहिए।
रुद्राक्ष की माला से 108 बार प्रतिदिन जाप करना लाभदायक है।
यदि किसी बीमार व्यक्ति के लिए जाप कर रहे हों, तो उन्हें भी मानसिक रूप से जोड़ने का प्रयास करें।

जीवनशैली में स्थान
आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में महामृत्युंजय मंत्र मानसिक शांति का श्रेष्ठ साधन बन सकता है। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक वैज्ञानिक ऊर्जा प्रणाली है जो मन, मस्तिष्क और शरीर के बीच संतुलन बनाकर आत्मिक सशक्तिकरण का कार्य करती है।यह मंत्र योग, प्राणायाम और ध्यान के साथ जुड़कर आध्यात्मिक विकास की दिशा में अग्रसर करता है। कई चिकित्सक और ध्यान गुरु इसे "ध्वनि चिकित्सा" (Sound Healing) के रूप में अपनाते हैं।

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