लंका से निकाल हनुमान जी ने शनिदेव को फेंका था इस जगह! अब यहां स्थापित है चमत्कारी मंदिर, वीडियो में कथा सुन रह जाएंगे हैरान

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित एक छोटा-सा गांव — ऐंती — आज देशभर में भक्तों के बीच खास श्रद्धा और रहस्य का केंद्र बना हुआ है। यह गांव केवल अपनी सादगी या प्राकृतिक खूबसूरती के लिए नहीं, बल्कि एक दिव्य पौराणिक घटना के कारण प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां श्रीराम भक्त हनुमान जी ने लंका से शनिदेव को मुक्त कर आकाश में उछाला था, और शनिदेव आकर इस स्थान के एक पर्वत पर गिरे थे। यही पर्वत आज शनि पर्वत या ऐंती पर्वत के नाम से प्रसिद्ध है। यहां बना शनिदेव का मंदिर हर शनिचरी अमावस्या और शनिवार को हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है।
पौराणिक कथा: जब हनुमान जी ने शनिदेव को दिलाई मुक्ति
रामायण काल की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब रावण ने अपने पुत्र मेघनाद के विजय अभियान के लिए सभी नवग्रहों को बंदी बना लिया था, तब उनमें शनिदेव भी शामिल थे। सभी ग्रह लंका के बंदीगृह में कैद थे और रावण की आज्ञा से वे मेघनाद की कुंडली में शुभ स्थिति में बनाए गए थे।हनुमान जी जब माता सीता की खोज में लंका पहुंचे, तब उन्होंने रावण के बंदीगृह में शनिदेव को कैद देखा। हनुमान जी ने बिना किसी देरी के सभी नवग्रहों को मुक्त कर दिया। शनिदेव इस कृपा से अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने हनुमान जी से वरदान मांगने को कहा। हनुमान जी ने कहा, “मेरे भक्तों को तुम कभी कष्ट मत देना।” शनिदेव ने प्रसन्न होकर वचन दिया कि जो भी हनुमान जी की भक्ति करेगा, उस पर शनि की वक्र दृष्टि नहीं पड़ेगी।इसके पश्चात, हनुमान जी ने शनिदेव को लंका से आकाश में उछाल दिया। कथा के अनुसार, वे मुरैना जिले के ऐंती ग्राम के पास स्थित एक पर्वत पर आकर गिरे। वहीं स्थान आज शनि पर्वत के रूप में प्रसिद्ध है और यहां बना मंदिर शनिदेव की उस अलौकिक यात्रा का साक्ष्य माना जाता है।
शनि पर्वत मंदिर: आस्था, चमत्कार और ऊर्जा का केंद्र
इस पर्वतीय स्थल पर स्थित शनिदेव मंदिर देखने में भले ही प्राचीन और साधारण लगे, लेकिन इसकी शक्ति और चमत्कारों के किस्से दूर-दूर तक फैले हुए हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थना से शनि की साढ़े साती, ढैय्या और शनि दोष जैसे ज्योतिषीय कष्ट भी दूर हो जाते हैं। हर शनिवार और विशेष रूप से शनिचरी अमावस्या के दिन यहां श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ता है।यह मंदिर लगभग 800 फीट ऊंचे पहाड़ पर स्थित है, जहां भक्त पैदल चढ़ाई करके या सीढ़ियों के माध्यम से पहुंचते हैं। चढ़ाई कठिन जरूर है, लेकिन भक्तों का विश्वास इसे आसान बना देता है। पर्वत के ऊपरी हिस्से में शनिदेव की मूर्ति स्थापित है, जो एक प्राकृतिक चट्टान से बनी हुई प्रतीत होती है। यहां की आभा इतनी शक्तिशाली मानी जाती है कि भक्त इसे “जीवंत देव स्थान” कहते हैं।
चमत्कारी अनुभव और लोक मान्यताएं
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के अनुसार, शनिदेव के इस मंदिर में कई लोगों ने असाध्य रोगों से मुक्ति, आर्थिक समस्याओं से छुटकारा और मानसिक शांति प्राप्त की है। कहा जाता है कि यहां शनिवार को सरसों का तेल चढ़ाने से शनि की वक्र दृष्टि से रक्षा होती है।मंदिर में कई श्रद्धालु काले तिल, काला कपड़ा, लोहे की वस्तुएं और सरसों का तेल चढ़ाकर विशेष पूजा करते हैं। मान्यता है कि इन वस्तुओं से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं।
शनिचरी अमावस्या: विशेष पर्व, विशेष प्रभाव
हर वर्ष आने वाली शनिचरी अमावस्या पर यहां भव्य मेला लगता है। इस दिन को शनि उपासना के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है। हजारों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर यहां स्नान, पूजा और दान करते हैं। यहां गूंजते मंत्र, जलते दीपक, और भक्तों की आस्था का समर्पण इस पर्व को और भी दिव्य बना देते हैं।
कैसे पहुंचें शनि पर्वत, ऐंती गांव
मुरैना जिले का ऐंती गांव मध्य प्रदेश की ग्वालियर-चंबल बेल्ट में स्थित है। यहां पहुंचने के लिए ग्वालियर या मुरैना रेलवे स्टेशन से वाहन आसानी से मिल जाते हैं। आसपास के गांवों और शहरों से श्रद्धालु साइकिल, मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर और बसों से आते हैं।