गायत्री मंत्र से रोग और शत्रु दोनों पर पाएं विजय, 3 मिनट के वीडियो में जानिए जाप की सही विधि, समय और चमत्कारी लाभ

हिंदू धर्मग्रंथों में गायत्री मंत्र को सभी मंत्रों में बहुत शक्तिशाली और प्रभावशाली माना गया है। हिंदू धर्मग्रंथ ऋग्वेद में उल्लेख है कि जो कोई भी व्यक्ति गायत्री मंत्र का जाप करता है, उसका जीवन सुखमय हो जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों में गायत्री मंत्र को महामंत्र कहा गया है। अगर गायत्री मंत्र का जाप रोजाना किया जाए तो सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं और जीवन में सफलता और खुशियां आती हैं। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। धर्मशास्त्र में इस मंत्र का प्रयोग हर सफलता के लिए सिद्ध माना गया है। यह मंत्र रोगों और शत्रुओं पर विजय दिलाता है। हालांकि गायत्री मंत्र के जाप के कुछ नियम भी हैं, जिन्हें ध्यान में रखना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं गायत्री मंत्र के लाभ और इससे जुड़े नियमों के बारे में…
गायत्री मंत्र के लिए ये तीन समय हैं सर्वश्रेष्ठ
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र का जाप तीन समय में करने पर अधिक प्रभावशाली माना जाता है। गायत्री मंत्र का जाप करने का पहला समय सूर्योदय से थोड़ा पहले शुरू करके सूर्योदय के थोड़ी देर बाद तक जारी रखना है। गायत्री मंत्र का जाप दोपहर के समय भी किया जा सकता है। जबकि तीसरा समय सूर्यास्त से ठीक पहले का है। इस मंत्र का जाप सूर्यास्त से पहले शुरू करके सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद तक जारी रखें।
गायत्री मंत्र का जाप कब और कैसे करें
ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि सुबह बिस्तर से उठकर सभी दैनिक कार्यों से मुक्त होने के बाद 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। सूर्योदय के समय घर में पूजा स्थल या किसी अन्य शुद्ध स्थान पर बैठकर गायत्री मंत्र का तीन बार या 108 बार जाप करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से वर्तमान के साथ-साथ भविष्य में भी आपकी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ-साथ आपकी रक्षा होती है। इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि भोजन करने से पहले 3 बार गायत्री मंत्र का जाप करने से भोजन अमृत के समान हो जाता है। अगर आप किसी काम से घर से बाहर जा रहे हैं तो घर से निकलते समय आपको 5 या 11 बार गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से समृद्धि, यश और सफलता प्राप्त होती है।
गायत्री मंत्र के नियम
गायत्री मंत्र का जाप गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
इस मंत्र का जाप करने के लिए स्नान करने के साथ-साथ मन और आचरण भी शुद्ध होना चाहिए।
मंत्र का जाप करने से पहले शुभ मुहूर्त में कांसे के बर्तन में जल भरें।
फिर गायत्री मंत्र के साथ ऊँ ह्रीं क्लीं उपसर्ग लगाकर गायत्री मंत्र का जाप करें।
मंत्र का जाप करने के बाद बर्तन में भरा पानी पी लें।
गायत्री मंत्र का जाप कुश या चटाई के आसन पर बैठकर करें।
इसके लिए तुलसी या चंदन की माला का प्रयोग करें।
यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में इस मंत्र का जाप कर रहे हैं तो पूर्व दिशा की ओर मुख करके जाप करें।
यदि आप शाम के समय इसका जाप कर रहे हैं तो पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जाप करें।
गायत्री मंत्र का जाप किसी भी समय मानसिक रूप से किया जा सकता है।
गायत्री मंत्र के लाभ
गायत्री मंत्र के जाप से सभी संकट निष्प्रभावी हो जाते हैं। इस मंत्र का प्रयोग हर क्षेत्र में सफलता दिलाने में सिद्ध हुआ है। नौकरी या व्यापार में परेशानी आने पर गायत्री मंत्र का जाप लाभकारी होता है। इस मंत्र के जाप के लिए किसी विशेष समय की आवश्यकता नहीं होती है। वहीं, रोगों से मुक्ति पाने के लिए गायत्री मंत्र का जाप अचूक माना जाता है। जीवन में तनाव और चिंता जैसी समस्याएं नहीं आती हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है और करियर में तरक्की मिलती है। ऐसे व्यक्ति का समाज में मान-सम्मान बढ़ता है। नकारात्मकता दूर होकर सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है। एकाग्रता बढ़ती है और जीवन की हर समस्या का समाधान होता है।