सदियों से जलती अखंड ज्योत से लेकर गलता कुंड तक, 3 मिनट के इस पौराणिक वीडियो में जानिए गलता जी मंदिर की अनुसने रहस्य

जयपुर शहर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर अरावली की पहाड़ियों के बीच बसा गलता जी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह रहस्य और चमत्कारों से भरा हुआ एक पौराणिक स्थल भी है। इसे "जयपुर का बनारस" भी कहा जाता है। यह मंदिर श्रीरामानुज सम्प्रदाय से जुड़ा है और यहाँ की प्राकृतिक संरचना, पवित्र जलकुंड और प्राचीन अखंड ज्योत इसे विशेष बनाते हैं। आइए जानते हैं इस दिव्य धाम से जुड़े प्रमुख रहस्य और धार्मिक महत्ता।
पवित्र गलता कुंड – जहां हर साल भरता है जल
गलता जी मंदिर का सबसे रहस्यमयी पहलू है यहाँ स्थित गलता कुंड, जिसे पवित्रतम जलकुंडों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह जलकुंड कभी सूखता नहीं और इसमें गिरने वाली पानी की धार गौमुख से निकलती है। वैज्ञानिक तौर पर इस जल का स्रोत पहाड़ों के भीतर स्थित कोई प्राकृतिक जलधारा मानी जाती है, लेकिन भक्तों के लिए यह देवताओं की कृपा से निर्मित अमृतधारा है।यहां हर साल मकर संक्रांति पर हजारों श्रद्धालु डुबकी लगाते हैं और मानते हैं कि इससे उनके सारे पाप धुल जाते हैं। संत, साधु और अखाड़ों के महंत इस कुंड में स्नान कर धर्मिक शक्ति प्राप्त करते हैं।
अखंड ज्योत – जो सदियों से जल रही है बिना बुझी
गलता जी मंदिर का एक अन्य चमत्कारिक हिस्सा है यहां जलती अखंड ज्योत। ऐसा कहा जाता है कि यह ज्योति पिछले कई सौ वर्षों से बिना बुझी लगातार जल रही है। मंदिर के संत इस ज्योत की सेवा विशेष विधि-विधान से करते हैं। यह न केवल भक्तों की आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भी माना जाता है कि इसकी लौ देखना जीवन के हर अंधकार को मिटा सकता है।
संत गलव ऋषि की तपोस्थली
गलता जी को महर्षि गलव की तपोभूमि के रूप में भी जाना जाता है। पुराणों के अनुसार महर्षि गलव ने यहीं पर वर्षों तक कठोर तप किया था और उन्हें भगवान विष्णु और ब्रह्मा दोनों के दर्शन प्राप्त हुए थे। यही कारण है कि इस स्थान का नाम "गलता" पड़ा और यहां की भूमि को तीर्थराज की उपाधि मिली।यहाँ एक बड़ा मंदिर है जो गलव ऋषि को समर्पित है, और इसी के निकट स्थित हैं कई छोटे-बड़े मंदिर जैसे बालाजी मंदिर, राम-सिता मंदिर, और विष्णु मंदिर।
बंदरों का साम्राज्य – हनुमान जी की कृपा
गलता जी को कभी-कभी मंकी टेम्पल (Monkey Temple) भी कहा जाता है, क्योंकि यहां हजारों की संख्या में बंदर निवास करते हैं। माना जाता है कि ये बंदर हनुमान जी के प्रतीक हैं और गलता जी मंदिर में उनकी विशेष कृपा है। बंदरों का स्वभाव यहां अपेक्षाकृत शांत और अनुशासित रहता है, जो अपने-आप में एक आश्चर्य है।यह दृश्य देखने लायक होता है जब बंदर मंदिर परिसर में कुंड के किनारे बैठकर जल पीते हैं और कभी-कभी स्नान भी करते हैं।
वास्तुकला और प्राकृतिक सौंदर्य
गलता जी मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी शैली में बनी हुई है, जिसमें गुलाबी पत्थरों, नक्काशीदार खंभों, और गोल मेहराबों का अद्भुत समावेश है। चारों ओर हरे-भरे पेड़, चट्टानें और घाटियाँ इसे एक आध्यात्मिक पर्यटन स्थल बनाते हैं। पहाड़ी के ऊपरी हिस्से से पूरे जयपुर शहर का दृश्य दिखाई देता है, जो यहाँ आने वालों के लिए एक अतिरिक्त सौगात है।
आस्था और रहस्य का संगम
गलता जी केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आस्था और रहस्य का संगम है। जहां एक ओर यहां के जलकुंडों में दिव्यता की धारा बहती है, वहीं दूसरी ओर अखंड ज्योत और तपस्थली की पौराणिकता इसे एक विशेष ऊंचाई देती है।यहां आने वाले श्रद्धालु न केवल दर्शन करते हैं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा से खुद को शुद्ध करने का अनुभव भी प्राप्त करते हैं।
गलता जी मंदिर न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत के उन पवित्र स्थलों में से एक है, जहां आस्था, चमत्कार और इतिहास एक साथ जीवंत रूप में देखने को मिलते हैं। गलता कुंड की अमृतधारा हो या अखंड ज्योत की दिव्यता, हर तत्व यहां श्रद्धा का परिचायक है।यदि आप कभी जयपुर जाएं, तो गलता जी मंदिर अवश्य जाएं—शायद आपको भी सफेद बंदर या गौमुख से गिरती दिव्य जलधारा का कोई संदेश मिल जाए।