तोप के गोले भी जिसका कुछ न बिगाड़ सके! 2 मिनट के वायरल वीडियो में जाने गणेश जी की 185 साल पुरानी मूर्ती का रहस्य जो आजतक अनसुलझा
राजस्थान के फतेहपुरी गेट स्थित प्रथम पूज्य विघ्नहरण सीकर शहर के सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध गणेश जी मंदिर की मूर्ति की महिमा बेमिसाल है। मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित गणेश जी की मूर्ति चमत्कारों से भरपूर है। शहर के फतेहपुर गेट स्थित गणेश मंदिर में सदियों पहले स्थापित इस मूर्ति की सबसे दिलचस्प बात यह है कि यह मूर्ति मिट्टी से बनी है। इसके बाद भी जब इसका जल से अभिषेक किया जाता है तो यह पानी में नहीं पिघलती है। जिस स्थान पर यह मूर्ति स्थापित की गई है वहां मानसून के मौसम में खूब बारिश होती है। जिसके कारण मंदिर में पानी पहुंच जाता है और गणेश मूर्ति पूरी तरह पानी में डूबी रहती है। लेकिन फिर भी यह मूर्ति आज तक नहीं पिघली है।
पानी में डूबने के बाद भी नहीं पिघलती
मंदिर के इतिहास की बात करें तो फतेहपुरी गेट के पास स्थित मंदिर में स्थापित यह मूर्ति प्राचीन काल में दो रियासतों पाटोदा और कासली से होते हुए सीकर शहर में पहुंची थी। इतिहासकार महावीर पुरोपित बताते हैं कि सीकर के राव राजा देवी सिंह अपने शत्रु कासली राज्य के शासक पूर्ण सिंह को युद्ध में परास्त करने के बाद कासली से गणेश जी की मूर्ति सीकर लाए थे। राजा देवी सिंह ने 1840 में सीकर पर शासन किया था। उस समय कासली राज्य का शासक पूर्ण सिंह बहुत शक्तिशाली और अहंकारी था। वह सीकर के नानी गांव की ओर बने किले परिसर के गेट पर बार-बार भाले से हमला करता, सैनिकों को डराता और सीकर के राजा को युद्ध के लिए ललकारता।
तोप के गोले भी हुए बेअसर
कासली के अहंकारी शासक पूर्ण सिंह से तंग आकर नानी गेट पर तैनात सैनिकों ने राजा देवी सिंह को पूरी बात बताई। इस पर राजा ने अपने एक विश्वस्त सैनिक को कासली के शासक को समझाने के लिए भेजा। कासली के शासक ने उस समय उसकी हत्या कर दी, जिससे क्रोधित होकर राजा देवी सिंह ने कासली राज्य पर हमला कर दिया। राज्य पर तोप के गोले भी दागे गए, जो सभी बेअसर साबित हुए। फिर भी सीकर के राजा ने कई बार कासली पर आक्रमण किया, लेकिन हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद जब सीकर के राजा ने इसका कारण पता किया तो पता चला कि कासली राज्य में गणेश जी की एक चमत्कारी मूर्ति है, जो कासली राज्य पर आने वाली मुसीबतों को दूर करती है। जिसके कारण युद्ध में दागे गए गोले भी बेअसर साबित हो रहे हैं।
युद्ध कासली से जीतकर सीकर लाए गए
यह जानने के बाद राजा देवी सिंह ने राज पुरोहितों और पंडितों से इस विषय में सलाह ली। उनकी सलाह पर वे युद्ध भूमि में घुटनों के बल बैठ गए और भगवान गणेश को प्रसन्न करने की प्रार्थना की। सीकर के राजा ने शासक पूर्ण सिंह को उसके पापों और कासली राज्य के अहंकार और उसके सेनापति की हत्या के लिए दंडित करने के लिए युद्ध में विजय के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की। जिसके बाद सीकर के राजा ने कासली पर आक्रमण कर दिया और वे युद्ध में विजयी हुए। इसके बाद कासली राज्य को सीकर राज्य में शामिल कर लिया गया और कासली से प्राप्त चमत्कारी भगवान गणेश की यह मूर्ति विजय गणेश के नाम से सीकर किले के सामने फतेहपुर गेट के पास स्थापित की गई। इसीलिए फतेहपुरी गेट को विजय गणेश के नाम से भी जाना जाता है। तभी से सीकर शहर के फतेहपुर गेट में स्थापित प्रथम पूज्य भगवान गणेश के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती चली गई।
हजारों श्रद्धालु करते हैं विघ्नहरण के दरबार में मत्था टेकते हैं
सीकर शहर व आसपास के लोगों के यहां जब भी शादी या अन्य शुभ कार्य होते हैं तो वे पहला निमंत्रण देने शहर के फतेहपुरी गेट स्थित गणेश जी के पास पहुंचते हैं। जहां वे पहला निमंत्रण विघ्नहरण गणेश जी को देते हैं और शुभ कार्य बिना किसी बाधा के पूरा होने की प्रार्थना करते हैं। प्रत्येक बुधवार को हजारों श्रद्धालु विघ्नहरण के दरबार में मत्था टेककर आशीर्वाद लेते हैं, वहीं गणेश चतुर्थी पर पांच दिवसीय गणेश महोत्सव का भी आयोजन होता है। जिसमें गणेश जी का दुग्ध स्नान, 56 भोग की झांकी, महिलाओं के मंगल गीत, महाआरती, जागरण व शोभा यात्रा सहित अनेक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

