गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना नहीं मिलेगा शुभ फल बल्कि हो सकता है नुकसान
गणेश जी को विघ्नहर्ता, मंगलकर्ता और बुद्धि के देवता कहा जाता है। उनकी स्तुति और आराधना से जीवन में आ रही हर बाधा दूर होती है और नई ऊर्जा का संचार होता है। उन्हीं की महिमा का वर्णन करता है गणेशाष्टकम्, जो संस्कृत का एक अति प्रभावशाली स्तोत्र है। इसका पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सिद्धि, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लेकिन यह पाठ जितना शक्तिशाली है, उतना ही अनुशासन और शुद्धता की मांग करता है।अगर गणेशाष्टकम् का पाठ सही नियम और विधि से न किया जाए, तो इसके फल उल्टे भी हो सकते हैं। इसलिए आवश्यक है कि पाठ करते समय कुछ महत्वपूर्ण सावधानियों का ध्यान अवश्य रखा जाए।
1. शुद्धता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें
गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय शरीर, वस्त्र और स्थान की पवित्रता आवश्यक है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत, साफ-सुथरी जगह पर बैठकर पाठ करें। गंदे स्थान, बिस्तर या शौच के पास बैठकर पाठ करना वर्जित माना गया है।
2. पाठ से पहले करें श्रीगणेश का ध्यान और पूजन
गणेशाष्टकम् का पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें, उन्हें दूर्वा, सिंदूर, मोदक और लाल पुष्प अर्पित करें। पूजा किए बिना सीधे पाठ शुरू करना असम्मान माना जाता है और इससे फल प्राप्ति में बाधा आती है।
3. गलत उच्चारण से बचें
गणेशाष्टकम् संस्कृत में रचित है और इसमें कई कठिन शब्द होते हैं। गलत उच्चारण करने से पाठ का भाव बदल सकता है, जिससे लाभ के बजाय अशुभ प्रभाव हो सकता है। यदि आपको शुद्ध उच्चारण नहीं आता, तो किसी विद्वान से सीखें या ऑडियो की सहायता लें।
4. शारीरिक स्थिति और मनोदशा का रखें ध्यान
पाठ करते समय आपका मन एकाग्र और शांत होना चाहिए। क्रोध, थकान, भूख या चिंता की स्थिति में पाठ करने से उसका प्रभाव कम होता है या नकारात्मक हो सकता है। इसलिए मानसिक रूप से स्थिर होकर ही गणेशाष्टकम् का जाप करें।
5. पाठ के समय मोबाइल या बातचीत से बचें
गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय ध्यान पूरी तरह भगवान गणेश पर होना चाहिए। मोबाइल, टीवी, या अन्य किसी प्रकार के विचलन से पाठ की ऊर्जा बाधित होती है। इसे आध्यात्मिक साधना की तरह करें, न कि सिर्फ पाठ की प्रक्रिया।
6. नियमितता और समय का रखें विशेष ध्यान
गणेशाष्टकम् का पाठ यदि नित्य किया जाए तो अधिक प्रभावी होता है। विशेषकर बुधवार, चतुर्थी तिथि और गणेश चतुर्थी पर इसका पाठ बहुत शुभ फल देता है। सुबह या ब्रह्ममुहूर्त का समय सर्वोत्तम माना गया है।
7. न खाने के तुरंत बाद करें पाठ
भोजन के तुरंत बाद गणेशाष्टकम् का पाठ नहीं करना चाहिए। कम से कम 1 घंटे का अंतर रखें, ताकि शरीर और मन दोनों शांत रहें।
8. भक्ति और श्रद्धा हो प्राथमिकता
पाठ मात्र शब्दों का खेल नहीं है। यदि उसमें भक्ति, श्रद्धा और समर्पण नहीं है तो वह निष्फल हो सकता है। गणपति बप्पा को प्रेम भाव प्रिय है, इसलिए पाठ करते समय सच्चे मन से उनकी वंदना करें।

