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गणेश अष्टकम का जाप करते समय भूलकर भी न करें ये 5 काम वरना कृपा की जगह आ सकते हैं जीवन में संकट, वीडियो में जाने सबकुछ 

गणेश अष्टकम का जाप करते समय भूलकर भी न करें ये 5 काम वरना कृपा की जगह आ सकते हैं जीवन में संकट, वीडियो में जाने सबकुछ 

 सनातन धर्म में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभारंभ के देवता के रूप में पूजा जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य, व्रत, पूजा या नए काम की शुरुआत से पहले गणपति का स्मरण अनिवार्य माना जाता है। विशेषकर संकट या अशुभ समय में गणेश जी की उपासना और “गणेश अष्टकम” का जाप अत्यंत प्रभावशाली और लाभदायक माना गया है।लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि इस शक्तिशाली स्तोत्र का जाप गलत समय, गलत तरीके या लापरवाही के साथ किया जाए, तो इसका प्रभाव उल्टा भी हो सकता है। इसके कारण लाभ की जगह भारी मानसिक, आर्थिक या पारिवारिक हानि उठानी पड़ सकती है। इसलिए “गणेश अष्टकम” का पाठ करते समय कुछ विशेष सावधानियों का पालन अत्यंत आवश्यक है।


क्या है गणेश अष्टकम?
“गणेश अष्टकम” एक संस्कृत स्तोत्र है जिसमें भगवान गणेश के आठ प्रमुख गुणों और स्वरूपों का वर्णन किया गया है। इस स्तोत्र के माध्यम से साधक भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करते हैं, विघ्नों से छुटकारा पाते हैं और जीवन के कार्यों में सफलता अर्जित करते हैं। यह अष्टक विशेष रूप से बुधवार, चतुर्थी तिथि, और संकट के समय में अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।

क्यों है समय का विशेष महत्व?
गणेश अष्टकम का जाप करने के लिए सही समय का चुनाव सबसे ज़रूरी होता है। यदि इसे राहुकाल, ग्रहण, या अशुभ योग के दौरान किया जाए तो इसका सकारात्मक प्रभाव कम हो सकता है या नकारात्मक भी हो सकता है।उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति बुधवार को राहुकाल के दौरान जाप करता है, तो ग्रहों की उलटी चाल के कारण वह लाभ की जगह मानसिक अशांति और विघ्नों का सामना कर सकता है। इसलिए पहले पंचांग देखकर समय का निर्धारण करना चाहिए।

गणेश अष्टकम के जाप में बरती जाने वाली प्रमुख सावधानियां
स्वच्छता और शुद्धता रखें
जाप से पहले स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को स्वच्छ रखें। यह मानसिक एकाग्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा दोनों के लिए आवश्यक है।

राहुकाल और अशुभ समय से बचें
दिन के पंचांग के अनुसार राहुकाल और गुलिक काल में जाप करने से बचें। ये समय बाधाएं उत्पन्न करने वाले माने जाते हैं।

आसन और दिशा का ध्यान रखें
पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके जाप करना उत्तम माना गया है। कंबल या कुशासन पर बैठकर जाप करें जिससे स्थिरता बनी रहे।

शब्दों का उच्चारण सही करें
“गणेश अष्टकम” संस्कृत में है और इसके मंत्रों में शक्ति होती है। यदि उच्चारण त्रुटिपूर्ण हो तो मंत्र का प्रभाव कम हो सकता है या विपरीत भी हो सकता है।

भावनाओं की शुद्धता जरूरी
जाप करते समय मन शांत और भगवान में लीन रहना चाहिए। मन में किसी के प्रति द्वेष, लालच या अहंकार न रखें। शुद्ध भावनाओं से किया गया जाप ही फलदायक होता है।

मोबाइल और ध्यान भटकाने वाली चीजों से दूरी
जाप करते समय मोबाइल, टीवी या बातचीत से दूर रहें। यह न केवल जाप की एकाग्रता को भंग करता है बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा का ह्रास भी करता है।

क्या हो सकती हैं हानियां अगर सावधानी न बरती जाए?
मानसिक अशांति: गलत समय पर जाप करने से व्यक्ति को बेचैनी, तनाव या अनावश्यक डर का अनुभव हो सकता है।
परिवारिक क्लेश: त्वरित परिणाम की चाह में लापरवाही से किया गया जाप घर में तनाव या वाद-विवाद का कारण बन सकता है।
आर्थिक हानि: विशेष धन प्राप्ति के लिए गणेश अष्टकम का जाप करते समय अगर विधि-विधान का पालन न किया जाए तो व्यापार या नौकरी में उलटा असर भी पड़ सकता है।
बाधाएं और विघ्न: जाप का उद्देश्य विघ्न हटाना है, लेकिन अगर इसका नियमभंग किया जाए तो विघ्न बढ़ भी सकते हैं।

कौन से समय हैं जाप के लिए श्रेष्ठ?
प्रभात काल (सुबह 4 से 6 बजे) – ब्रह्ममुहूर्त में किया गया जाप अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
संध्याकाल (शाम 6 से 7.30 बजे) – दिनभर के विकारों से मुक्त होकर शाम के समय किया गया जाप भी शुभ फल देता है।
चतुर्थी तिथि और बुधवार – ये दिन भगवान गणेश को समर्पित होते हैं और जाप के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं।

भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए “गणेश अष्टकम” एक अचूक साधन है, लेकिन इसके जाप में लापरवाही और अशुद्धता भारी नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए यदि आप इस स्तोत्र का पाठ करने जा रहे हैं, तो उपरोक्त सभी सावधानियों का पालन करें। शुद्ध मन, सही समय और पूर्ण श्रद्धा के साथ किया गया जाप निश्चित ही विघ्नों को हरने वाला और सौभाग्य दिलाने वाला होगा।

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