नियमों के बिना अधूरा रह जाता है भगवती स्तोत्रम् का जाप, वीडियो में जानिए कौन-सी छोटी लापरवाहियां कर सकती हैं बड़ा नुकसान

सनातन धर्म में देवी भगवती को शक्ति का रूप माना गया है। उनके स्तुति के लिए कई मंत्र और स्तोत्र प्रचलित हैं, लेकिन "श्री भगवती स्तोत्रम्" का स्थान विशेष है। यह स्तोत्र न केवल भक्त की श्रद्धा को सशक्त करता है, बल्कि साधना में अद्भुत फल भी प्रदान करता है। मान्यता है कि जो साधक श्रद्धा और विधिपूर्वक इसका पाठ करता है, उसके जीवन से संकट, भय, रोग और दरिद्रता समाप्त हो जाती है। हालांकि, इसका पूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब इसका जाप नियमानुसार और सच्चे मन से किया जाए। लेकिन अक्सर लोग कुछ सामान्य सी दिखने वाली गलतियां कर बैठते हैं, जिनसे साधना का प्रभाव क्षीण हो जाता है।
पाठ से पहले की शुद्धता बेहद जरूरी
श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ आरंभ करने से पहले शरीर, वाणी और मन की शुद्धता अत्यंत आवश्यक है। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनना, शांत मन से आसन लगाकर बैठना और स्थान की पवित्रता बनाए रखना जरूरी है। घर में कलह, गंदगी या अपवित्रता के वातावरण में किया गया पाठ अक्सर निष्फल हो जाता है।
मन में संदेह हो तो नहीं मिलता फल
कई बार भक्त मात्र दिखावे के लिए या किसी के कहने पर स्तोत्र का जाप शुरू कर देते हैं। लेकिन यदि मन में श्रद्धा या देवी पर विश्वास नहीं है, तो जाप केवल शब्दों का उच्चारण बनकर रह जाता है। श्रद्धा रहित पूजा न तो फल देती है और न ही मानसिक शांति।
गलत उच्चारण से बिगड़ सकती है साधना
भगवती स्तोत्रम् संस्कृत भाषा में है और इसके मंत्रों का उच्चारण अत्यंत महत्व रखता है। यदि इसका उच्चारण अशुद्ध होता है, तो मंत्र का प्रभाव नकारात्मक भी हो सकता है। इसलिए यदि आप स्वयं संस्कृत के जानकार नहीं हैं, तो किसी विद्वान ब्राह्मण या गुरु की सहायता से इसका शुद्ध उच्चारण सीखें।
नियमितता का पालन आवश्यक
कई लोग उत्साह में एक दिन स्तोत्र का पाठ शुरू तो कर देते हैं, लेकिन कुछ ही दिनों में छोड़ देते हैं या अनियमित हो जाते हैं। यह स्तोत्र तभी फलदायी होता है जब इसे लगातार, एक ही समय और स्थान पर पाठ किया जाए। एक बार पाठ प्रारंभ करने के बाद इसे बीच में रोकना या भूल जाना अनुचित माना गया है।
नकारात्मक भावनाओं से रहें दूर
जप के दौरान मन को शांत और सकारात्मक रखना बहुत जरूरी है। क्रोध, ईर्ष्या, लालच जैसी नकारात्मक भावनाओं से युक्त मन भगवती की कृपा से वंचित रह जाता है। पाठ के समय इन विचारों से मुक्त होकर पूरी श्रद्धा से देवी का ध्यान करें।
रात्रि में पाठ के लिए विशेष सावधानियां
यदि कोई भक्त रात्रि के समय भगवती स्तोत्रम् का पाठ करता है, तो उसे विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। रात्रि के समय वातावरण शांत होता है और साधना में एकाग्रता आसान होती है, लेकिन आसन, दीपक, शुद्धता और एकांत का ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए।
निष्काम भाव से करें स्तुति
देवी का स्मरण केवल किसी इच्छा पूर्ति के लिए नहीं, बल्कि आत्मकल्याण और भक्ति भावना के लिए होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति केवल स्वार्थपूर्ति के उद्देश्य से भगवती स्तोत्रम् का पाठ करता है, तो उसे फल की प्राप्ति देर से या अधूरी होती है।