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इन 3 रहस्यमयी जगहों पर आज भी मौजूद हैं भोलेनाथ के चरणचिह्न! भोलेनाथ के प्रिय माह में जरूर करे दर्शन, वीडियो में जाने पूरी डिटेल 

इन 3 रहस्यमयी जगहों पर आज भी मौजूद हैं भोलेनाथ के चरणचिह्न! भोलेनाथ के प्रिय माह में जरूर करे दर्शन, वीडियो में जाने पूरी डिटेल 

श्रावण मास भोलेनाथ की आराधना का सबसे शुभ समय होता है। इस महीने शिव भक्त व्रत रखते हैं, जल चढ़ाते हैं और उनके दर्शन का पुण्य अर्जित करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कुछ ऐसे पवित्र स्थान भी हैं, जहाँ आज भी भगवान शिव के पैरों के निशान मौजूद हैं? ये निशान न केवल आस्था का प्रतीक माने जाते हैं, बल्कि इन्हें स्वयं शिव के धरती पर विराजमान होने का प्रमाण भी माना जाता है। हर साल सावन में हज़ारों भक्त शिव का आशीर्वाद पाने के लिए इन मंदिरों में दर्शन करने आते हैं। आइए जानते हैं उन 3 खास मंदिरों के बारे में, जहाँ भोलेनाथ के पैरों के निशान आज भी भक्तों को चमत्कार का एहसास कराते हैं।

पहाड़ी मंदिर, रांची, झारखंड

झारखंड की राजधानी रांची में स्थित पहाड़ी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि देशभक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का भी प्रतीक है। यह मंदिर रांची शहर के मध्य स्थित एक ऊँची पहाड़ी पर बना है, जिसे पहाड़ी बाबा का मंदिर भी कहा जाता है। यहाँ मौजूद भगवान शिव के पैरों के निशान एक विशेष पत्थर पर उकेरे गए हैं, जिनके दर्शन के लिए प्रतिदिन हज़ारों भक्त यहाँ आते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव ने इस स्थान पर कुछ समय तक तपस्या की थी और उनके पदचिह्न आज भी यहाँ मौजूद हैं। सावन के महीने में यहाँ विशेष पूजा-अर्चना और जलाभिषेक होता है और दूर-दूर से लोग शिव के पावन चरणों के दर्शन करने आते हैं।

जागेश्वर धाम, अल्मोड़ा, उत्तराखंड
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित जागेश्वर धाम एक पौराणिक स्थल है जहाँ 124 छोटे-बड़े मंदिर एक साथ स्थित हैं। यह स्थान शिव के प्राचीन धामों में से एक माना जाता है। यहाँ की घाटियों में बसी शांति और वातावरण भक्तों को ध्यान और समाधि का अनुभव कराता है। यहाँ के एक प्रमुख मंदिर में एक चट्टान पर आज भी भगवान शिव के पदचिह्न उत्कीर्ण हैं। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव इसी क्षेत्र में निवास करते थे और यहीं उन्होंने तप किया था। इन पवित्र पदचिह्नों को छूने से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और मन को शांति मिलती है।

तिरुवेंगडु और तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु
तमिलनाडु में स्थित तिरुवेंगडु मंदिर, जिसे स्वेदंबर स्थान कहा जाता है, शिव भक्तों के लिए एक दिव्य स्थान है। यह स्थान भगवान शिव के रौद्र रूप 'अघोर मूर्ति' का मंदिर है, जहाँ एक विशेष चट्टान पर शिव के पैरों के निशान आज भी देखे जा सकते हैं। ये निशान इस बात का संकेत हैं कि शिव ने यहीं आकर तीनों लोकों में संतुलन स्थापित किया था। वहीं, अरुणाचल पर्वत की तलहटी में स्थित तिरुवन्नामलाई, 'अग्नि लिंग' के रूप में शिव की आराधना का प्रमुख केंद्र है। यहाँ गिरिप्रदक्षिणा करने वाले भक्तों को रास्ते में कई स्थानों पर शिव के पैरों के निशान देखने को मिलते हैं। मान्यता है कि शिव ने स्वयं इस पर्वत की परिक्रमा की थी और अपने पैरों के निशान छोड़े थे।

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