महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से भोलेनाथ होंगे प्रसन्न, वीडियो में जानिए जाप की शास्त्रसम्मत विधि और नियम

भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र को मृत्यु पर विजय पाने वाला मंत्र भी कहा जाता है। यह महज एक मंत्र नहीं है, बल्कि जीवन और मृत्यु के बीच एक सुरक्षा कवच है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महामृत्युंजय मंत्र सीधे भगवान शिव के हृदय से निकला है। हिंदू धर्म में माना जाता है कि अगर इस मंत्र का जाप भक्तिभाव और विधिपूर्वक किया जाए तो यह व्यक्ति को जीवन की सबसे कठिन परिस्थितियों से भी बचा सकता है। इस मंत्र की कंपन शक्ति ऐसी है कि यह शरीर की ऊर्जा प्रणाली को संतुलित करता है। लेकिन कई लोगों को सही जानकारी के अभाव में महामृत्युंजय मंत्र का लाभ नहीं मिल पाता है। आइए जानते हैं महामृत्युंजय मंत्र के जाप की विधि और नियम…
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
इस मंत्र का वर्णन ऋग्वेद (मंडल 7, सूक्त 59, ऋचा 12) और यजुर्वेद में किया गया है। यह मंत्र मृत्यु के परम भय से रक्षा करता है और अमरता अर्थात मोक्ष का द्वार खोलता है। यह मंत्र भगवान शिव के "त्र्यंबक" (तीन नेत्रों वाले) स्वरूप का आह्वान करता है। भगवान शिव काल के भी काल हैं, इसलिए शिव को महाकाल भी कहा जाता है। इसलिए यह मंत्र काल, रोग, मृत्यु और बंधनों का नाश करता है। शिवपुराण और मार्कंडेय पुराण में वर्णित है कि इस मंत्र के जाप से सभी भय, रोग और बंधनों से मुक्ति मिलती है।
महामृत्युंजय मंत्र जाप की विधि
– महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले शुद्ध स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
– महामृत्युजय मंत्र का जाप ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) या रात्रि (रात 8-10 बजे) में करना सर्वोत्तम होता है। संकट के समय इसे कभी भी किया जा सकता है।
– पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें।
– सामने शिवलिंग या भगवान शिव की तस्वीर रखें।
– धीमी और स्पष्ट आवाज़ में मंत्र का जाप करें। बिना किसी गलती के मंत्र का जाप करें।
– रुद्राक्ष की माला से जाप करें – 108 बार (1 माला) या 1008 बार (11 माला)।
– अगर आप हर रोज़ महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहते हैं, तो सोमवार से इसकी शुरुआत करना शुभ माना जाता है।
– मंत्र जाप के बाद भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र और अगरबत्ती अर्पित करें।
– हर जाप के बाद एक बार ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
– हर रोज़ एक ही समय, स्थान और विधि से जाप करना शुभ होता है।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
– जाप से पहले शरीर और मन की शुद्धि अनिवार्य है।
– सफ़ेद या पीले कपड़े सबसे शुभ माने जाते हैं।
– बिना नहाए या अशुद्ध अवस्था में मंत्र का जाप न करें।
- शराब, मांसाहारी भोजन, तामसिक भोजन से बचें।
- सोते, लेटते या चलते समय मंत्र का जाप न करें।
- मंत्र का मजाक न उड़ाएं, अपमान न करें या गलत उच्चारण न करें।
- बीच में जाप बंद न करें, एकाग्रता बनाए रखें।