Samachar Nama
×

सावन में श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करने से पहले इस पौराणिक वीडियो में जरूर जान लें ये 8 सावधानियां, वरना नहीं मिलेगा मां का आशीर्वाद

सावन में श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करने से पहले इस पौराणिक वीडियो में जरूर जान लें ये 8 सावधानियां, वरना नहीं मिलेगा मां का आशीर्वाद

सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पुण्यदायक और शुभ माना जाता है। यह भगवान शिव और शक्ति की उपासना का विशेष समय होता है। जहां एक ओर भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं, वहीं दूसरी ओर देवी शक्ति की कृपा पाने के लिए भी विशेष पाठ-पूजन होते हैं। इन्हीं पाठों में एक है – “श्री भगवती स्तोत्रम्”, जो मां दुर्गा की महिमा का वर्णन करता है और साधक को जीवन के हर संकट से उबारने की शक्ति देता है।लेकिन इस अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र के पाठ के समय यदि कुछ विशेष बातों का ध्यान न रखा जाए, तो इसका पूर्ण फल नहीं मिल पाता। आइए जानते हैं कि सावन के पावन महीने में श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करते समय किन सावधानियों का पालन ज़रूरी है।

श्री भगवती स्तोत्रम् का महात्म्य
श्री भगवती स्तोत्रम् एक शक्तिशाली स्तुति है, जिसे आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। इसमें देवी दुर्गा के विविध स्वरूपों की स्तुति की गई है – जैसे काली, चंडी, पार्वती, भद्रकाली आदि। जो भी भक्त सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसे भय, दुख, दरिद्रता, रोग और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।

पाठ करते समय बरतें ये सावधानियां
1. शुद्ध और सात्विक रहें

श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ करते समय शरीर और मन दोनों की पवित्रता अत्यंत आवश्यक है। स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, विशेषकर स्त्रियां ध्यान दें कि रजस्वला अवस्था में पाठ न करें।

2. सही समय का चयन करें
सावन में ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे) में पाठ करना सबसे श्रेष्ठ माना गया है। यदि यह संभव न हो, तो सूर्यास्त से पूर्व का समय भी उपयुक्त होता है।

3. देवी की मूर्ति या चित्र के सामने करें पाठ
पाठ करते समय मां दुर्गा की प्रतिमा, चित्र या यंत्र के सामने बैठना चाहिए। यह साधक की एकाग्रता बढ़ाता है और ऊर्जा का संचार करता है।

4. दीपक और धूप जलाना न भूलें
देवी पूजा में अग्नि तत्व का अत्यंत महत्व है। घी का दीपक जलाकर उसे उत्तर-पूर्व दिशा में रखें और सुगंधित धूप या अगरबत्ती अवश्य जलाएं।

5. संकल्प और अंत में क्षमा प्रार्थना करें
पाठ शुरू करने से पहले मन ही मन संकल्प लें – किस उद्देश्य से आप यह स्तोत्र पढ़ रहे हैं। अंत में यदि पाठ में कोई त्रुटि रह गई हो तो क्षमा प्रार्थना करना आवश्यक है।

6. तेज़ आवाज़ में न करें पाठ
पाठ की ध्वनि मध्यम और स्पष्ट होनी चाहिए। तेज़ आवाज़ या दूसरों को दिखाने के उद्देश्य से किया गया पाठ फलदायी नहीं होता।

7. बीच में उठना न पड़े इसका ध्यान रखें
शक्ति स्तोत्र के पाठ के समय पूर्ण एकाग्रता चाहिए। बीच में उठना, फोन उठाना या बातचीत करना स्तोत्र के प्रभाव को घटा देता है।

8. श्रद्धा और भाव जरूरी है
सिर्फ शब्दों का उच्चारण पर्याप्त नहीं, पाठ के समय मां भगवती की कृपा और करुणा का स्मरण करते हुए सच्चे भाव से पढ़ें।

सावन में क्यों विशेष फलदायी होता है ये पाठ?
सावन मास को देवी-देवताओं की आराधना का मास माना जाता है। इस समय प्राकृतिक ऊर्जा सबसे अधिक सक्रिय होती है। ऐसे में श्री भगवती स्तोत्रम् का पाठ न केवल मानसिक और आत्मिक बल देता है, बल्कि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति भी लाता है।

Share this story

Tags