कन्याकुमारी यात्रा पर जाने से पहले जानें कहाँ-कहाँ जाएं, वीडियो में जानिए क्या देखें और कैसे पाएं आध्यात्मिक शांति के साथ प्राकृतिक आनंद

अगर आप विदेश यात्रा का सपना देखते हैं, तो आपको एक बार कन्याकुमारी जरूर जाना चाहिए। कन्याकुमारी में तीन समुद्रों का संगम होता है। कन्याकुमारी में आपको तीन समुद्रों- बंगाल की खाड़ी, अरब सागर और हिंद महासागर का अद्भुत मिलन देखने को मिलेगा। इस जगह को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है। कन्याकुमारी में और भी बहुत कुछ है, जो आपको विदेशों में नहीं मिलेगा। यहां प्राचीन मंदिरों के अलावा ऐसे मनोरम दृश्य हैं, जहां जाकर आपको न सिर्फ पुण्य की प्राप्ति होगी, बल्कि आप आनंद से भी अभिभूत हो जाएंगे। आइए जानें कन्याकुमारी के बारे में खास बातें और कन्याकुमारी दर्शन का समय
कन्याकुमारी इतनी खास क्यों है?
जब भी कन्याकुमारी का नाम लिया जाता है, तो ज्यादातर लोगों के मन में देवी के मंदिर की छवि उभरती है, लेकिन कन्याकुमारी का महत्व इससे कहीं ज्यादा है। कन्याकुमारी शक्तिपीठ 51 शक्तिपीठों में से एक है। शिव पुराण के अनुसार, जहां-जहां सती के शरीर के टुकड़े गिरे, वहां-वहां ये शक्तिपीठ निर्मित हुए। देवी पुराण के अनुसार, पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में 51 शक्तिपीठ हैं।
भद्रकाली मंदिर है खास, कन्याकुमारी देवी की सखी हैं भद्रकाली
यहां, जहां तीन समुद्र मिलते हैं, संगम पर कन्याकुमारी मंदिर में ही भद्रकाली मंदिर है। उन्हें देवी कुमारी की सखी माना जाता है। यह मंदिर भी एक शक्तिपीठ है, जहां माता सती के शरीर का एक हिस्सा गिरा था। कन्याकुमारी के प्राचीन देवी मंदिर के अलावा दक्षिण में मातृतीर्थ, पितृतीर्थ, भीमतीर्थ हैं। पश्चिम में थोड़ी दूर पर स्थाणु तीर्थ है। यहां दर्शन करने के बाद कन्याआश्रम मंदिर जाना न भूलें, जो समुद्र किनारे स्थित है।
कन्याकुमारी जाएं तो इन जगहों पर भी जाएं
कन्याकुमारी में स्नान घाट पर बना गणेश मंदिर बेहद खास है। यहां एक स्नान घाट है जहां गणेश जी का मंदिर है। मान्यता है कि स्नान के बाद गणेश जी के दर्शन और फिर कन्याकुमारी के भव्य दर्शन करने से पापों से मुक्ति मिलती है। मंदिर में कई मूर्तियां हैं। मंदिर से थोड़ी दूर पुष्करणी है, अगर आप समुद्र के पास मीठे पानी का स्वाद लेना चाहते हैं तो मंदिर के पास मीठे पानी की बावड़ी है। इसे मंडूक तीर्थ कहते हैं। मान्यता है कि इसमें स्नान करने मात्र से लोग पापों से मुक्त हो जाते हैं। अगर स्वामी विवेकानंद आपकी प्रेरणा के स्रोत हैं तो आप समुद्र से थोड़ा आगे जाकर विवेकानंद रॉक पर स्वामी विवेकानंद की मूर्ति भी देख सकते हैं। स्वामी जी ने यहीं बैठकर ध्यान किया था।
देवी पार्वती की कन्या रूप में होती है पूजा
समुद्र तट पर कुमारी देवी का मंदिर है, जहां देवी पार्वती की कन्या रूप में पूजा होती है। इस मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि देवी का विवाह संपन्न न होने के कारण बचे हुए चावल और दाल कंकड़ में बदल गए थे। आपको जानकर हैरानी होगी कि यहां कन्याकुमारी बीच की रेत में दाल और चावल के आकार और रंग के कंकड़ भी देखे जा सकते हैं।
कन्याकुमारी कैसे पहुंचें
कन्याकुमारी रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह त्रिवेंद्रम से 80 किलोमीटर दूर है। आप चेन्नई और त्रिवेंद्रम से ट्रेन या बस द्वारा यहां पहुंच सकते हैं। अगर आप अपने वाहन से जाना चाहते हैं, तो चेन्नई पहुंचकर गाड़ी चलाकर यहां पहुंच सकते हैं।
कन्याकुमारी मंदिर में जाने का समय क्या है?
कन्याकुमारी मंदिर भक्तों के दर्शन के लिए सुबह 4:30 बजे खुलता है। वहीं, दोपहर 12:30 बजे मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इसके बाद मंदिर को फिर से शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक दर्शन के लिए खोल दिया जाता है।