Samachar Nama
×

श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय इन 8 गलतियों से बचें, वरना लाभ की जगह हो सकती है भारी हानि

श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय इन 8 गलतियों से बचें, वरना लाभ की जगह हो सकती है भारी हानि

श्री गणेशाष्टकम्, भगवान गणेश की स्तुति में रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका पाठ करने से विघ्नों का नाश, बुद्धि की वृद्धि और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी मार्ग खोलता है। परंतु जैसे हर पूजा और मंत्र पाठ में नियमों का पालन आवश्यक होता है, वैसे ही श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना अनिवार्य है। यदि इन नियमों की अनदेखी की जाए तो लाभ की जगह उल्टा हानि भी हो सकती है।


पाठ से पहले की शुद्धता है अत्यंत आवश्यक
श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करने से पहले शरीर, मन और स्थान की शुद्धता सबसे पहली आवश्यकता है। यह ध्यान रखें कि पाठ से पहले स्नान अवश्य करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पाठ स्थान भी पवित्र और शांत वातावरण वाला होना चाहिए। यदि आप अपवित्र अवस्था में या गंदे स्थान पर पाठ करते हैं तो यह भगवान गणेश का अनादर माना जाता है और इससे दोष लग सकता है।

बैठने की दिशा और आसन का ध्यान रखें
पाठ करते समय उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ माना जाता है। साथ ही, कंबल या कुश के आसन पर बैठकर स्तोत्र पाठ करने से ऊर्जा का सही संचार होता है। जमीन पर बिना आसन के बैठना उचित नहीं माना जाता। इससे पाठ का प्रभाव कम हो सकता है।

बिना गणेश पूजन के न करें श्री गणेशाष्टकम् का पाठ
कई लोग सीधे स्तोत्र का पाठ शुरू कर देते हैं, लेकिन यह एक गंभीर भूल है। श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करने से पहले भगवान गणेश की विधिवत पूजा करनी चाहिए – उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत और दूर्वा चढ़ाकर ही स्तोत्र का उच्चारण करें। पूजा के बिना पाठ का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता।

उच्चारण में लापरवाही से बचें
श्री गणेशाष्टकम् संस्कृत में रचित है, और इसका प्रत्येक शब्द शक्ति से भरा हुआ है। यदि पाठ करते समय उच्चारण में अशुद्धि होती है, तो मंत्र का प्रभाव उल्टा भी हो सकता है। इसीलिए यदि आपको संस्कृत ठीक से नहीं आती, तो पहले अभ्यास करें या गुरु से मार्गदर्शन लें।

अशुभ समय पर न करें पाठ
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अमावस्या की रात, चतुर्थी के दिन सूर्यास्त के बाद, ग्रहण काल या किसी भी तामसिक समय में श्री गणेशाष्टकम् का पाठ नहीं करना चाहिए। यह मंत्र एक सात्विक ऊर्जा का वाहक है, जिसे रात्रि या अशुद्ध समय में पढ़ना हानिकारक हो सकता है।

मन एकाग्र न हो तो पाठ व्यर्थ हो जाता है
श्री गणेशाष्टकम् का पाठ करते समय मन पूरी तरह भगवान गणेश की भक्ति में लीन होना चाहिए। यदि आप पाठ करते हुए मोबाइल देख रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं या मन में अन्य विचार आ रहे हैं, तो यह पाठ व्यर्थ हो जाता है। मानसिक एकाग्रता ही इस स्तोत्र की सिद्धि का मूल आधार है।

पाठ के तुरंत बाद न करें अपवित्र कार्य
पाठ पूरा होने के बाद कुछ समय तक मौन रहना और ध्यान करना लाभकारी होता है। परंतु कुछ लोग पाठ करके तुरंत भोजन कर लेते हैं या टीवी देखने लगते हैं, जिससे पाठ का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पाठ के बाद कम से कम 15-30 मिनट तक किसी भी तामसिक या भौतिक गतिविधि से दूर रहना चाहिए।

दूर्वा और मोदक का प्रयोग है अनिवार्य
भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक अत्यंत प्रिय हैं। यदि आप श्री गणेशाष्टकम् का पाठ कर रहे हैं, तो पाठ के साथ इन दो चीजों का अर्पण अवश्य करें। इससे स्तोत्र का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

Share this story

Tags