भोलेनाथ का अजब-गजब मंदिर! जहाँ भगवान की मूर्ति खुद पीती है शराब, रहस्य जान चक्कर खा जाएगा दिमाग

भारत का दिल कहे जाने वाले राज्य मध्य प्रदेश में कई ऐसे चमत्कारी मंदिर हैं, जहां की मान्यताएं बेहद हैरान करने वाली हैं। ऐसा ही एक मंदिर महाकाल की नगरी उज्जैन में स्थित है, जहां मंदिर के बाहर शराब बेची जाती है। जी हां, आपने सही सुना, इस मंदिर के बाहर दुकानों पर साल भर मंदिर में चढ़ावे के लिए बिना किसी रोक-टोक के शराब बेची जाती है।
काल मंदिर में चढ़ाई जाती है शराब
हम बात कर रहे हैं महाकाल की नगरी में स्थित काल भैरव मंदिर की जहां काल भैरव को शराब चढ़ाई जाती है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव तामसिक स्वभाव के देवता माने जाते हैं। इसीलिए उन्हें प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। मंदिर में शराब चढ़ाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार काल भैरव मंदिर में शराब चढ़ाना दृढ़ संकल्प और शक्ति का प्रतीक है। इस मंदिर में भगवान काल भैरव मंत्रों का जाप करने के बाद हर दिन करीब 2,000 बोतल शराब का सेवन करते हैं।
मूर्ति स्वयं करती है मदिरा का सेवन
आपको जानकर हैरानी होगी कि काल भैरव को चढ़ाई जाने वाली मदिरा को किसी नदी या नाले में नहीं फेंका जाता है, बल्कि भगवान काल भैरव की मूर्ति स्वयं मदिरा का सेवन करती है। इस रहस्य का पता पुरातत्व विभाग और वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए। इस रहस्यमयी कारण के कारण लोगों की इस मंदिर के प्रति आस्था और भी बढ़ गई है। कहा जाता है कि काल भैरव मंदिर का निर्माण शिप्रा नदी के तट पर राजा भद्रसेन ने करवाया था। यह प्राचीन मंदिर अष्टभैरवों में प्रमुख काल भैरव को समर्पित है।
इसलिए चढ़ाई जाती है मदिरा
विभिन्न मान्यताओं के अनुसार भगवान काल भैरव को मदिरा अर्पित करने से जीवन में आने वाले सभी प्रकार के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि रविवार के दिन काल भैरव के मंदिर में मदिरा अर्पित करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं। इसके अलावा लोग काल सर्प दोष, अकाल मृत्यु और पितृदोष जैसी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए भगवान काल भैरव को शराब भी चढ़ाते हैं। इसके अलावा काल भैरव मंदिर में पूजा के लिए रविवार और मंगलवार को सबसे अच्छा दिन माना जाता है।