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आखिर कलयुग में सबसे सफल क्यों मानी जाई है श्याम धणी की पूजा ? 2 मिनट के शानदार वीडियो में देखे खाटू श्याम मंदिर का चमत्कार 

आखिर कलयुग में सबसे सफल क्यों मानी जाई है श्याम धणी की पूजा ? 2 मिनट के शानदार वीडियो में देखे खाटू श्याम मंदिर का चमत्कार 

खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर नामक स्थान पर स्थित है। कहा जाता है कि यह मंदिर भगवान कृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मान्यता के अनुसार खाटू श्याम जी कलियुग में सबसे प्रसिद्ध देवता हैं। मान्यता है कि खाटू श्याम के मंदिर में आकर भक्त जो भी मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है। आपको बता दें कि खाटू श्याम में हर महीने मेला लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में भक्त दर्शन करने आते हैं। आइए जानते हैं इस मंदिर की खास बातें।

महाभारत काल से है खाटू श्याम का संबंध
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से है। कहा जाता है कि वे पांडुपुत्र भीम के पौत्र हैं। यह भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण ने खाटू श्याम की शक्तियों और क्षमताओं से प्रसन्न होकर उन्हें कलियुग में उनके नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। यही कारण है कि कलियुग में खाटू श्याम की पूजा की जाती है।

खाटू श्याम कैसे पहुँचें
खाटू श्याम मंदिर राजस्थान की राजधानी जयपुर से 80 किलोमीटर दूर खाटू गांव में स्थित है। यहाँ पहुँचने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन रींगस है। जहाँ से बाबा के मंदिर की दूरी 18.5 किलोमीटर है। रेलवे स्टेशन से निकलने के बाद आप मंदिर के लिए टैक्सी और जीप ले सकते हैं। अगर आप फ्लाइट से जा रहे हैं तो सबसे नजदीकी एयरपोर्ट जयपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहाँ से मंदिर की दूरी 95 किलोमीटर है। अगर आप दिल्ली से सड़क मार्ग से खाटू श्याम मंदिर जा रहे हैं तो आपको पहुँचने में करीब 4 से 5 घंटे लगेंगे।

हर साल लगता है खाटूश्याम मेला
हर साल होली के दौरान खाटू श्यामजी का मेला लगता है। इस प्रसिद्ध मेले में देश-विदेश से भक्त बाबा खाटू श्याम जी के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर में भक्तों की गहरी आस्था है। बाबा श्याम, हारे का सहारा, लखदातार, खाटूश्याम जी, मोर्विनंदन, खाटू का नरेश और शीश का दानी ये सभी नाम उनके भक्त देते हैं। यहां की जाने वाली मानव सेवा भी खाटूश्याम जी मेले का एक आकर्षण है। बड़े-बड़े घराने के लोग यहां आते हैं और आम लोगों की तरह भक्तों की सेवा करते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।

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