आखिर कब और किसने कराया करणी माता मंदिर का निर्माण जहाँ दर्शन करने आ रहे PM Modi, 2 मिनट के वीडियो में देखिये पूरा इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 18 मई 2025 को राजस्थान के प्रसिद्ध करणी माता मंदिर के दर्शन करेंगे। उनके साथ इस विशेष यात्रा में केंद्रीय रेल मंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी शामिल होंगे। यह दौरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी काफी अहम माना जा रहा है। पीएम मोदी का यह दौरा बीकानेर और आसपास के क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उत्सुकता का विषय बन गया है।
करणी माता मंदिर का महत्त्व
राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित करणी माता मंदिर न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में अपने अनोखे स्वरूप और रहस्यमयी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को "चूहों वाले मंदिर" के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यहां लगभग 25,000 से अधिक काले और कुछ चुनिंदा सफेद चूहे रहते हैं, जिन्हें 'काबा' कहा जाता है और श्रद्धालु इन्हें पूजते हैं।यह मंदिर मां करणी माता को समर्पित है, जिन्हें दुर्गा का अवतार माना जाता है। कहा जाता है कि मां करणी ने चूहों को मरने के बाद पुनर्जन्म देने का वरदान दिया था, इसलिए यहां के चूहे विशेष रूप से पूजनीय माने जाते हैं।
पीएम मोदी की यात्रा का उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा आध्यात्मिक आस्था से जुड़ी होने के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास और सांस्कृतिक धरोहरों को सम्मान देने का प्रतीक मानी जा रही है। इस यात्रा के दौरान वे करणी माता से देश की सुख-शांति, समृद्धि और सामाजिक एकता की कामना करेंगे।इसके साथ ही रेल मंत्री और मुख्यमंत्री के साथ मंदिर के आसपास के इलाकों में चल रही विकास परियोजनाओं की समीक्षा भी की जा सकती है। माना जा रहा है कि बीकानेर जिले में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कुछ नई घोषणाएं भी की जा सकती हैं।
करणी माता मंदिर का इतिहास
करणी माता का जन्म 1387 ईस्वी में नागौर जिले के सुआल में हुआ था। उनका वास्तविक नाम रिडू बाई था और वे चारण वंश से थीं। युवावस्था में ही वे तपस्या में लीन हो गईं और उन्हें दिव्य शक्तियाँ प्राप्त हुईं। लोक मान्यता है कि करणी माता ने बीकानेर और जोधपुर राजवंशों को आशीर्वाद दिया था, जिससे उनके साम्राज्य का विस्तार हुआ।मंदिर का निर्माण लगभग 600 साल पहले राव गंगा सिंह ने करवाया था। इसके बाद कई बार इसका विस्तार और जीर्णोद्धार किया गया। वर्तमान मंदिर संगमरमर से बना हुआ है और इसके द्वार पर चांदी की नक्काशी की गई है।
क्यों पूजते हैं चूहों को?
यह मंदिर दुनिया का एकमात्र ऐसा धार्मिक स्थल है, जहां चूहों को मंदिर का स्थायी वासी माना जाता है। मान्यता है कि मां करणी के पुत्र लक्ष्मण की मृत्यु एक झील में डूबने से हो गई थी। करणी माता ने यमराज से उसे जीवित करने का आग्रह किया, लेकिन वे केवल उसे चूहे के रूप में पुनर्जन्म देने के लिए राजी हुए। तभी से यह मान्यता बनी कि मां करणी के भक्त चूहों के रूप में पुनर्जन्म लेते हैं और मंदिर में वास करते हैं।इन चूहों के बीच एक-दो सफेद चूहों को देखना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति सफेद चूहा देख ले, उसे मां करणी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
संभावित घोषणाएं और रेल संपर्क
पीएम मोदी के साथ रेल मंत्री की उपस्थिति यह संकेत देती है कि करणी माता मंदिर को धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर और अधिक सशक्त रूप से जोड़ा जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि देशनोक रेलवे स्टेशन के आधुनिकीकरण, नई ट्रेन सेवाओं और बेहतर यात्री सुविधाओं से संबंधित योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। यह मंदिर हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है, ऐसे में रेल संपर्क को बेहतर बनाना केंद्र सरकार की प्राथमिकता हो सकती है।
स्थानीय जनभावना और सुरक्षा व्यवस्था
पीएम मोदी की इस यात्रा को लेकर पूरे बीकानेर और देशनोक क्षेत्र में भारी उत्साह देखा जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि करणी माता की धरती पर प्रधानमंत्री का आना उनके लिए गौरव की बात है। मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन ने विशेष तैयारियाँ शुरू कर दी हैं। सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं और एसपीजी की टीम भी सक्रिय हो गई है।
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल एक धार्मिक दर्शन यात्रा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम है। करणी माता मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व, साथ ही उसका अनोखा स्वरूप, इस यात्रा को और भी खास बना देता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रधानमंत्री की इस यात्रा के बाद करणी माता मंदिर को राष्ट्रीय और वैश्विक धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर किस तरह से नई ऊंचाइयां मिलती हैं।