आखिर जंगल का राजा शेर कैसे बना देवी भगवती की सवारी ? इस पौराणिक वीडियो में जाने रहस्यमयी कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से नवरात्रि के नौ दिनों तक पूजा और व्रत रखता है मां संकट की हर घड़ी में उसकी रक्षा करती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक पूजा और व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है। मां दुर्गा को भक्त शेरावाली के नाम से भी पुकारते हैं। क्योंकि मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेर कैसे मां की सवारी बनी। आइए जानते हैं शेर के मां की सवारी बनने की पौराणिक कथा।
हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा शेर पर सवार होती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती भगवान शिव से बहुत प्रेम करती थीं। माता पार्वती भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाना चाहती थीं। इसके लिए माता पार्वती ने कठोर तप किया। तपस्या के कारण उनका रंग काला पड़ गया। एक बार मजाक में महादेव ने कह दिया कि देवी आप काली हैं। फिर क्या था माता पार्वती भगवान से नाराज हो गईं और कैलाश पर्वत छोड़कर चली गईं।
माता पार्वती कैलाश पर्वत छोड़कर एक बार फिर से तपस्या करने लगीं। मां की तपस्या के दौरान एक शेर उनके पास पहुंच गया। वह माता का शिकार करने की नीयत से आया था, लेकिन माता तपस्या में लीन थीं, इसलिए शेर ने सोचा कि माता की तपस्या पूरी होने पर वह उन्हें अपना शिकार बना लेगा, लेकिन माता पार्वती कई वर्षों तक तपस्या करती रहीं। अंत में महादेव प्रसन्न हुए और माता पार्वती को माता गौरी बनने का वरदान दिया। तभी से माता को महागौरी के नाम से भी जाना जाने लगा। माता का शिकार करने आया शेर सालों से भूखा-प्यासा बैठा था। माता ने सोचा कि यह शेर सालों से भूखा-प्यासा बैठा है, इसे भी तपस्या का फल मिलना चाहिए। ऐसे में माता ने शेर को अपनी सवारी बना लिया।
चैत्र नवरात्रि का धार्मिक महत्व
धार्मिक दृष्टि से चैत्र नवरात्रि का बहुत महत्व है। क्योंकि चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां आदिशक्ति प्रकट हुई थीं। मां आदिशक्ति ने ब्रह्मा जी को सृष्टि की रचना का कार्यभार सौंपा था। चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी। चैत्र नवरात्रि के दौरान भगवान विष्णु ने त्रेता युग में राम के रूप में अवतार लिया था।