भाग्य चमकाने वाले राजस्थान के 5 प्रसिद्ध हनुमान मंदिर, 3 मिनट के वायरल वीडियो में जानिए इनकी अलौकिक मान्यताएं
राजस्थान राज्य ऐतिहासिक और चमत्कारी मंदिरों के लिए जाना जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी सच्चाई जानने के बाद मन हिल जाता है। हम आपको पहले भी इस राज्य के कई रहस्यमयी मंदिरों के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको 5 ऐसे हनुमान मंदिरों के बारे में जानकारी देंगे, जहां दर्शन करने के बाद कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। अगर आप राम भक्त हैं, तो यह लेख आपके लिए ही है।
सालासर बालाजी
राजस्थान में स्थित सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना रहा है। चूरू जिले में स्थित इस मंदिर को दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी के नाम से जाना जाता है, क्योंकि दाढ़ी-मूंछ वाले बालाजी पूरे भारत में यहीं पर स्थित हैं। इस मंदिर के बारे में कई मान्यताएं बताई जाती हैं। कहा जाता है कि जो व्यक्ति यहां हनुमान जी की शरण में आता है, वह कभी खाली हाथ वापस नहीं जाता।
खोले के हनुमान जी
खोले के हनुमान जी राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित हैं, जो बहुत प्रसिद्ध हैं। भक्तों के अलावा देश-विदेश से पर्यटक भी यहां दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर की स्थापना के बारे में कहा जाता है कि 60 के दशक में एक ब्राह्मण ने शहर के पूर्व में स्थित पहाड़ियों में बहते बरसाती नालों और पहाड़ों के बीच एक गुफा में बजरंगबली की एक विशाल प्रतिमा की खोज की थी।
मेहंदीपुर बालाजी
राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर काफी ऐतिहासिक है। यहां दूर-दूर से देश-विदेश से बड़ी संख्या में भक्त बालाजी के दर्शन के लिए आते हैं। यहां आने के बाद हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। ऐसा माना जाता है कि मेहंदीपुर धाम में लोग मुख्य रूप से नकारात्मक शक्ति और भूत बाधा से मुक्ति पाने के लिए आते हैं। यहां आने के बाद सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
इच्छापूर्ण बालाजी
राजस्थान के चूरू जिले में स्थित इच्छापूर्ण बालाजी का मंदिर भी रहस्यमयी बताया जाता है। इस मंदिर के निर्माण के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण द्रविड़ शैली में दक्षिण भारत और पश्चिम बंगाल के कारीगरों द्वारा किया गया था, जो देखने में बेहद शानदार लगता है। इस मंदिर की चौखट पर दस्तक देने वाले लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
सामोद वीर हनुमानजी
राजधानी जयपुर के बेहद नजदीक स्थित सामोद वीर हनुमानजी का मंदिर बेहद ऐतिहासिक और चमत्कारी माना जाता है। यह मंदिर पहाड़ियों पर बना हुआ है। पर्वत श्रृंखला पर विराजमान बजरंगबली के दर्शन के लिए करीब 1100 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं, जो एक कठिन काम है।