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1312 वर्ष पूर्व तंत्र-मंत्र विद्या से किया गया था इस गणेश मंदिर का बयान, मंदिर के अन्दर छिपा रहस्य जान उड़ जाएंगे होश 

1312 वर्ष पूर्व तंत्र-मंत्र विद्या से किया गया था इस गणेश मंदिर का बयान, मंदिर के अन्दर छिपा रहस्य जान उड़ जाएंगे होश 

सिद्धि विनायक श्री सिद्ध शमी गणेश मंदिर की ख्याति पूरे देश में फैली हुई है। इस सिद्ध मंदिर का निर्माण 1312 वर्ष पूर्व तांत्रिक विद्या से किया गया था। इस प्राचीन मंदिर की महिमा अपरंपार है। श्री सिद्ध शमी गणेश मंदिर के चारों ओर प्रदेश व देश के सिद्ध गणेश मंदिरों की दुर्लभ प्रतिमाओं की प्रतिकृतियां स्थापित की गई हैं। इससे एक ही स्थान पर संपूर्ण तीर्थ की झलक मिलती है। सभी का ऐतिहासिक महत्व है।

तांत्रिक सिद्धि के लिए प्रसिद्ध मंदिर: विशेषज्ञ जितेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि ''गणेश जी की मूर्ति शमी वृक्ष से निकली है। जिसे तांत्रिक सिद्धि करने वाले टीले में स्थापित किया गया है। मंदिर का निर्माण संवत 646 में हुआ था। नवगढ़ राज्य के राजा नरबर साय ने शमी गणेश की मूर्ति स्थापित की थी। बाद में नगरवासियों ने मंदिर का 3 बार जीर्णोद्धार कराया।''

मंदिर में गणपति के कई रूप: सिद्धि टेक, जिला नगर महाराष्ट्र, गिरिजात्मज पुणे, चिंतामणि पुणे, महागणपति, वरद विनायक, मयूरेश्वर, बल्लालेश्वर, विघ्नेश्वर स्थापित गणेश नवगढ़ के इस मंदिर में देखे जा सकते हैं। मंदिर में दुर्गा प्रतिमा, शिवलिंग, राधा कृष्ण प्रतिमा, राम दरबार स्थापित किए गए हैं और हनुमान जी को विराजमान किया गया है।

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: नवगढ़ के समाजसेवी राजेंद्र खुराना ने बताया कि ''यह अष्टकोणीय मंदिर है। यहां कुछ शिलालेख भी मौजूद हैं। मंदिर परिसर में अष्टकोणीय कुआं भी है। वर्ष 1880 में पहली बार महाराष्ट्रीयन ब्राह्मणों ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया और वहीं के लोग गणेश जी की पूजा करने लगे। तब से इस मंदिर का महत्व एक बार फिर लोगों तक पहुंच गया। अब छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और पूरे भारत से लोग यहां शमी गणेश के दर्शन के लिए आते हैं। मंदिर का दूसरी बार 1936 में और तीसरी बार 2010 में जीर्णोद्धार हुआ। गीता प्रेस गोरखपुर से प्रकाशित धार्मिक पत्रिका कल्याण में इस मंदिर का देश के सिद्ध गणेश मंदिरों में प्रमुखता से उल्लेख किया गया है।

मंदिर के अंदर छिपा रहस्य : नवागढ़ के श्री सिद्ध शमी गणेश मंदिर के गर्भगृह के बगल में एक गुफा है। इसमें कई रहस्य छिपे हैं। गुफा में पिछले 55 वर्षों से श्री अखंड ज्योति प्रज्वलित होती आ रही है। वहां गौरी माता की प्रतिमा है जो श्री सिद्ध शमी गणेश को देख रही है। गणेश की प्रतिमा गौरी मैय्या को देखती नजर आ रही है। गर्भगृह में प्रवेश वर्जित किया गया है, लेकिन पुजारी वहां जाकर दीपक जलाते हैं और गौरी देवी की पूजा करते हैं। यदि पुरातत्व विभाग मंदिर के आसपास खोजबीन करे तो बड़ा रहस्य उजागर हो सकता है।

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