गलता जी के इन सात पवित्र कुंडों में स्नान करने से दूर होते है रोग, इस ऐतिहासिक वीडियो में जाने कभी ना सूखने वाले जल का रहस्य

राजस्थान की राजधानी जयपुर, अपने महलों, किलों और ऐतिहासिक स्थलों के लिए विख्यात है, लेकिन इसी शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित एक ऐसा धार्मिक स्थल है जो न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि रहस्यों से भी भरा हुआ है। यह स्थल है गलता जी, जिसे लोग ‘छोटी काशी’ के नाम से भी जानते हैं। पहाड़ियों के बीच बसा गलता जी मंदिर सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं है, बल्कि यहां स्थित सात पवित्र कुंड इसे और भी खास बनाते हैं। इन कुंडों की उत्पत्ति, पौराणिक महत्व और धार्मिक मान्यता आज भी लोगों को आश्चर्यचकित करती है।
सात कुंड और उनका रहस्य
गलता जी मंदिर परिसर में स्थित ये सात जलकुंड किसी भी सामान्य जलस्रोत जैसे नहीं हैं। कहा जाता है कि इन कुंडों में पानी कभी सूखता नहीं, चाहे कितनी भी गर्मी हो। इनमें से सबसे पवित्र कुंड को ‘गालव कुंड’ कहा जाता है, जिसका नाम महर्षि गालव के नाम पर रखा गया है। मान्यता है कि हजारों वर्ष पूर्व महर्षि गालव ने यहां कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश प्रकट हुए और आशीर्वाद स्वरूप यहाँ से जलधारा फूट पड़ी।
लगातार बहता जल: चमत्कार या विज्ञान?
इन कुंडों में बहने वाला पानी आसपास की चट्टानों से रिसता हुआ आता है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि यह जल हमेशा एक समान स्तर पर रहता है। वैज्ञानिकों की मानें तो यह एक प्रकार की भूगर्भीय जलधारा हो सकती है, लेकिन श्रद्धालु इसे गंगा के समान पवित्र मानते हैं। यहां आने वाले भक्त कुंड में स्नान कर अपने पापों से मुक्ति पाने का विश्वास रखते हैं।
हर कुंड का अलग महत्व
गालव कुंड – यह सबसे प्राचीन और प्रमुख कुंड है, यहां स्नान से सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
पवित्र कुंड – माना जाता है कि यहां स्नान करने से शारीरिक रोगों से राहत मिलती है।
सूर्य कुंड – यह कुंड सूर्यदेव को समर्पित है और इसके जल से स्नान करने पर ग्रह दोष दूर होते हैं।
गोमुख कुंड – यह कुंड चट्टानों से गिरते पानी द्वारा निर्मित है और इसका जल अत्यंत ठंडा और शुद्ध होता है।
हनुमान कुंड – यह कुंड बजरंगबली को समर्पित है, माना जाता है कि यहां स्नान करने से भय और बाधाएं दूर होती हैं।
राम कुंड – इस कुंड में स्नान करने से पारिवारिक सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
सीता कुंड –महिलाओं के लिए यह विशेष कुंड माना गया है, संतान प्राप्ति की कामना रखने वाली महिलाएं यहां आकर विशेष पूजा करती हैं।
पौराणिक संदर्भ और मान्यताएं
पुराणों के अनुसार, महर्षि गालव ने इस स्थान पर हजारों वर्षों तक तप कर देवी-देवताओं को प्रसन्न किया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान सूर्यदेव ने उन्हें अमृत तुल्य जलधारा का वरदान दिया, जो आज भी इन कुंडों के रूप में बहती है। कुछ कथाओं में यह भी कहा गया है कि यह जल स्वयं गंगा से जुड़ा है, और इसका पुण्य गंगा स्नान के समान है।
गलता जी का धार्मिक महत्त्व
गलता जी को रामायण और महाभारत काल से जुड़ा हुआ स्थान माना जाता है। यहां बना मुख्य मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है, जिसे ‘गलता जी का बालाजी मंदिर’ कहा जाता है। यह बालाजी मंदिर राजस्थान में सबसे अधिक श्रद्धा से पूजे जाने वाले मंदिरों में से एक है। मंदिर की दीवारों पर बनीं प्राचीन चित्रकला और स्थापत्य कला अद्वितीय है, जो इसकी ऐतिहासिकता को प्रमाणित करती है।
बंदरों की नगरी
गलता जी मंदिर की एक और विशेष बात यह है कि इसे ‘मंकी टेम्पल’ भी कहा जाता है। यहां बड़ी संख्या में बंदरों का निवास है। कहा जाता है कि ये बंदर हनुमान जी के दूत हैं और उनकी सेवा में निरंतर लगे रहते हैं। पर्यटक इन बंदरों के साथ तस्वीरें खींचते हैं, उन्हें खाना खिलाते हैं, लेकिन इन बंदरों को भी इन पवित्र कुंडों के पास सम्मान और मर्यादा में देखा जाता है।
तीर्थयात्रियों के लिए अनुभव
हर साल लाखों श्रद्धालु गलता जी में स्नान करने आते हैं, विशेषकर मकर संक्रांति और गुरु पूर्णिमा के अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है। इन दिनों कुंडों में स्नान कर लोग पुण्य प्राप्ति और मोक्ष की कामना करते हैं। यहां का शांत वातावरण, पहाड़ी दृश्य और आध्यात्मिक ऊर्जा मन को असीम शांति प्रदान करती है।