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क्या खत्म हो जाएगी धरती? आखिर किस खतरे की आशंका पर इसरो चीफ ने चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर ऐसा हुआ तो हम सब खत्म हो जाएंगे’ ?

क्षुद्रग्रह आंतरिक सौर मंडल में घूमते रहते हैं। इनका आकार ग्रहों से छोटा लेकिन उल्कापिंडों से बड़ा होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये क्षुद्रग्रह धरती से टकरा भी सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो भारी स्तर पर तबाही मच सकती है. स्थिति इतनी भयावह हो सकती है....

विज्ञान न्यूज डेस्क !!! क्षुद्रग्रह आंतरिक सौर मंडल में घूमते रहते हैं। इनका आकार ग्रहों से छोटा लेकिन उल्कापिंडों से बड़ा होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक ये क्षुद्रग्रह धरती से टकरा भी सकते हैं और अगर ऐसा हुआ तो भारी स्तर पर तबाही मच सकती है. स्थिति इतनी भयावह हो सकती है कि पूरी पृथ्वी ही समाप्त हो सकती है। दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां ​​पृथ्वी को इस खतरे से बचाने के लिए रक्षा क्षमताएं विकसित करने की कोशिश कर रही हैं। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो भी इस संबंध में सक्रिय है। इस संभावित खतरे को लेकर इसरो चीफ एस सोमनाथ ने भी अपना पक्ष रखा है.


इसरो प्रमुख एस.सोमनाथ ने कहा कि मानव जीवन काल 70 से 80 साल का होता है और अपने जीवनकाल में हम आमतौर पर ऐसी भयावह घटनाएं नहीं देखते हैं। तो हम मान लेते हैं कि ऐसी घटनाएं नहीं हो सकतीं. लेकिन, इतिहास पर नजर डालें तो तस्वीर उलटी है। उन्होंने कहा कि मैंने एक क्षुद्रग्रह को बृहस्पति से टकराते हुए देखा है। यदि ऐसी कोई घटना पृथ्वी पर घटित हो जाये तो हम सभी नष्ट हो जायेंगे। इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. हमें खुद को तैयार करना चाहिए. हम पृथ्वी का विनाश नहीं चाहते लेकिन अगर हम इसे रोक नहीं सकते तो हमें मानव सभ्यता को बचाने के लिए विकल्प तलाशने होंगे।

खतरे से बचने के लिए मनुष्य क्या कर सकता है?

सोमनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं कि इंसान और सभी जीव-जंतु यहीं रहें। लेकिन, अगर ऐसी स्थिति आती है तो हमारे पास एक तरीका है जिससे हम इस खतरे से बच सकते हैं। इसके लिए हमें ऐसे ग्रह खोजने होंगे जो पृथ्वी जैसे हों। हालाँकि, यह कार्य इतना आसान नहीं है लेकिन प्रौद्योगिकी और पूर्वानुमान क्षमताओं को विकसित करने की आवश्यकता है। इसके लिए देशों को मिलकर काम करना होगा. निकट भविष्य में ऐसा होना तय है. जब ख़तरा वास्तविक हो जाए तो मानवता को एकजुट होकर काम करना होगा. इससे पहले इसरो प्रमुख ने क्षुद्रग्रह के धरती से टकराने की स्थिति में मंगल ग्रह पर जाने का विकल्प भी बताया था।

हजारों किलोमीटर तक फैले जंगल नष्ट हो गये

30 जून, 1908 को साइबेरिया में एक क्षुद्रग्रह से हुए भीषण हवाई विस्फोट ने लगभग 2200 वर्ग किलोमीटर में फैले घने जंगल को नष्ट कर दिया। इस दौरान लगभग 8 करोड़ पेड़ नष्ट हो गए। वहीं, 13 अप्रैल 2029 को एपोफिस नाम का क्षुद्रग्रह पृथ्वी के पास से गुजरेगा। इसका व्यास लगभग 370 मीटर बताया जाता है। 2036 में यह फिर से पृथ्वी के पास से गुजरेगा। यह धरती के लिए बेहद खतरनाक माना जाता है। आपको बता दें कि 10 किलोमीटर या उससे बड़े क्षुद्रग्रह से टकराव को पूर्ण विनाश स्तर का माना जाता है। दुनिया भर की अंतरिक्ष एजेंसियां ​​इस बड़े खतरे से बचने का रास्ता ढूंढने में जुटी हैं।

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