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हिग्स बोसोन प्रयोग क्या है? आइए जानते है इस बारे में

जब हमारा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया तब उससे पहले सब कुछ अंतराल में तैर रहा था, किसी चीज़ का तय आकार या द्रव्यमान नहीं था, जब हिग्स बोसोन कण अपने साथ भारी ऊर्जा लेकर आया तो सभी कण उसकी वजह से आपस में जुड़ने लगे और उनमें द्रव्यमान पैदा हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है
हिग्स बोसोन प्रयोग क्या है? आइए जानते है इस बारे में

जब हमारा ब्रह्मांड अस्तित्व में आया तब उससे पहले सब कुछ अंतराल में तैर रहा था, किसी चीज़ का तय आकार या द्रव्यमान नहीं था, जब हिग्स बोसोन कण अपने साथ भारी ऊर्जा लेकर आया तो सभी कण उसकी वजह से आपस में जुड़ने लगे और उनमें द्रव्यमान पैदा हो गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि हिग्स बोसोन की वजह से ही आकाशगंगाएँ, ग्रह, तारे और उपग्रहो का निर्माण हुआ है। अति सूक्ष्म कणो को वैज्ञानिको ने दो श्रेणियों में बाँटा हैं- स्थायी कण और अस्थायी कण। जो स्थायी कण होते हैं उनकी आयु बहुत ज्यादा लंबी होती है जैसे प्रोटोन अरबों खरबों वर्ष तक जीवित रहते हैं जबकि कई अस्थायी कण होते है जो कुछ ही क्षणों मे क्षय होकर अन्य स्थायी कणो मे परिवर्तित हो जाते है। हिग्स बोसोन बहुत ही अस्थिर प्रवर्ती का कण है, वह इतना क्षणभंगुर था कि वह बिग बैंग(महाविस्फोट) के समय एक पल के लिए आया और सारी चीज़ों को द्रव्यमान देकर खुद नष्ट भी हो गया, वैज्ञानिक नियंत्रित तरीक़े से, बहुत छोटे पैमाने पर वैसी ही परिस्थितियाँ पैदा करने का प्रयास कर रहे हैं जिनमें हिग्स बोसोन आया था।

हिग्स बोसोन प्रयोग क्या है? आइए जानते है इस बारे में

वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस तरह हिग्स बोसोन का क्षय होने से पहले उसका रुप बदलता है उस तरह के कुछ अति सूक्ष्म कण देखे गए हैं इसलिए इसकी आशा पैदा हो गई है कि यह प्रयोग सफल होगा। लेकिन क्या हकीकत में हिग्स बोसान पाया गया है ? इसके परिणामो की विवेचना करते है। जुलाई 2012 में, पूरी दुनिया ने हिग्स बोसन का नाम पहली बार सुना था उससे पहले लोग इसके बारे में कुछ नही जानते थे  भौतिकविदों ने हिग्स बोसन के बारे में कहा की  हिग्स फील्ड जो कि कणों को बड़े पैमाने पर हासिल करने की अनुमति देता है, वह मायावी कण है सच्चाई यह है कि वास्तव में उन्होंने संख्या, ग्राफ और सामान्य डेटा का एक पूरा समूह देखा उन्हें हिग्स बोसन का पता चला था।

हिग्स बोसोन प्रयोग क्या है? आइए जानते है इस बारे में

CERN मे हिग्स बोसान की खोज के लिये दो प्रयोग 2012 से चल रहे हैं। जिसमे वे कणो को तोड़कर किसी सुक्ष्मदर्शी से नही देखते है। ये कण इतने छोटे होते है कि मानव उन्हे दृश्य प्रकाश में अपनी आँखों से नही देख सकता है  लेकिन उनके व्यवहार और गुणधर्मो से उन्हें पहचाना जाता है। इन्हे पहचानने के लिये कणो के टकराव के बाद  की स्थितियों के अध्ययन से एक चित्र तैयार किया जाता है। एक वर्ष के प्रयोगो के पश्चात दोनो प्रयोगों में एक ऐसा कण पाया गया है जो कि हिग्स हो सकता है लेकिन वैज्ञानिक 100% विश्वास के साथ ऐसा नही कह रहे है। कुछ वैज्ञानिक 94% प्रायिकता से तो कुछ वैज्ञानिक 98% प्रायिकता से हिग्स होने की संभावना व्यक्त कर रहे है।

हिग्स बोसोन प्रयोग क्या है? आइए जानते है इस बारे में

ध्यान दे, यह क्वांटम विश्व है, यहा कोई भी परिणाम प्रायिकता मे ही होता है कोई निश्चत नही । यह परिणाम अच्छे है लेकिन पूरी तरह से अभी निश्चिंत होने लायक नही है। यह कुछ ऐसा है कि हमारे सामने एक धूंधली तस्वीर है, जो हिग्स के जैसे लग रही है लेकिन वह किसी और की भी हो सकती है इस बात का पता इस प्रयोग के पूरा होने के बाद ही सभी को पता लगेगा। 94% प्रायिकता के साथ हिग्स बोसान के होने की संभावना अच्छी लगती है लेकिन क्वांटम विश्व मे यह काफी नही होता  है। 6% संभावना है कि यह परिणाम गलत भी हो सकता है ! भौतिक वैज्ञानीक सामान्यत 99.9% (4 सीग्मा) पर उत्साहित होते हैं और 99.9999%(5 सिग्मा) पर उसे प्रमाणित मानते है। इस प्रायिकता मे परिणाम के गलत होने की संभावना 10 लाख मे से 1 की होती है।

हिग्स बोसोन प्रयोग क्या है? आइए जानते है इस बारे में

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