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रेडियो तरंगों के बारे में इस भारतीय वैज्ञानिक ने की थी अहम खोज

जयपुर। जिस रेडियों को आज हम बहुत ही मजे से सुनते है उसका इनोवेशन किसने किया था कभी सोचा है। आपको जानकारी दे दे कि ब्रिटिश सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने गणितीय रूप से विविध तरंग दैर्ध्य की विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। लेकिन अफसोस उनकी भविष्यवाणी के सत्यापन
रेडियो तरंगों के बारे में इस भारतीय वैज्ञानिक ने की थी अहम खोज

जयपुर। जिस रेडियों को आज हम बहुत ही मजे से सुनते है उसका इनोवेशन किसने किया था कभी सोचा है। आपको जानकारी दे दे कि ब्रिटिश सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी जेम्स क्लर्क मैक्सवेल ने गणितीय रूप से विविध तरंग दैर्ध्य की विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी। लेकिन अफसोस  उनकी भविष्यवाणी के सत्यापन से पहले 1879 में निधन उनका हो गया था। इसके बाद ब्रिटिश भौतिकविद ओलिवर लॉज मैक्सवेल तरंगों के अस्तित्व का प्रदर्शन 1887-88 में तारों के साथ उन्हें प्रेषित करके किया था।रेडियो तरंगों के बारे में इस भारतीय वैज्ञानिक ने की थी अहम खोज

इसके बाद में जर्मन के भौतिकशास्त्री हेनरिक हर्ट्ज ने 1888 में अंतरिक्ष में विद्युत चुम्बकीय तरंगों के अस्तित्व को प्रयोग करके दिखाया लोगों को दिखाया था। इनकी मृत्यु के बार जून 1894 में एक स्मरणीय व्याख्यान दिया और उसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया। लॉज की इस खोज ने  भारत के बोस सहित विभिन्न देशों के वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित किया। बोस के माइक्रोवेव अनुसंधान का पहलू यह था कि उन्होंने तरंग दैर्ध्य को मिलीमीटर स्तर पर ला दिया था।

रेडियो तरंगों के बारे में इस भारतीय वैज्ञानिक ने की थी अहम खोज

इस खोज के बाद वो प्रकाश के गुणों के अध्ययन के लिए लंबी तरंग दैर्ध्य की प्रकाश तरंगों के नुकसान को समझ गए थे। 1895 में सार्वजनिक प्रदर्शन दौरान  बोस ने एक मिलीमीटर रेंज माइक्रोवेव तरंग का उपयोग बारूद दूरी पर प्रज्वलित करने और घंटी बजाने में किया। आपको बता दे कि दिसम्बर 1895 में लंदन पत्रिका इलेक्ट्रीशियन ने बोस का लेख “एक नए इलेक्ट्रो-पोलेरीस्कोप पर” प्रकाशित किया था। यह बहुत ही रोचक बाते है कि उस समय अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में लॉज द्वारा गढ़े गए शब्द ‘कोहिरर’ क प्रयोग हर्ट्ज़ के तरंग रिसीवर या डिटेक्टर के लिए किया जाता था।

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