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जानिए आखिर क्या होता है पेशिनेट सेक्स, जानिए इसके पीछे का विज्ञान!

हम आज कल जिस कल्चर में रह रहें हैं वहां सैक्स एक बहुत ही आम बात बन चुकी है। हम अक्सर ऐसे कई आर्टिकल्स देखते हैं जहां हमें हाॅट सैक्स, हार्डर इरेक्शन, माइंड बेंडिंग आॅर्गाज़्म और इजेक्सूलेशन्स के बारे में इन्फोर्मेशन दी जाती है। अगर ध्यान दे ंतो आज का साइंस भी इसका समर्थन करता
जानिए आखिर क्या होता है पेशिनेट सेक्स, जानिए इसके पीछे का विज्ञान!

हम आज कल जिस कल्चर में रह रहें हैं वहां सैक्स एक बहुत ही आम बात बन चुकी है। हम अक्सर ऐसे कई आर्टिकल्स देखते हैं जहां हमें हाॅट सैक्स, हार्डर इरेक्शन, माइंड बेंडिंग आॅर्गाज़्म और इजेक्सूलेशन्स के बारे में इन्फोर्मेशन दी जाती है। अगर ध्यान दे ंतो आज का साइंस भी इसका समर्थन करता है। वैसे सैक्स की डिजायर में कुछ गलत भी नहीं है, हम में से बहुत से लोग इसके हैबिच्युअल होते हैं।

यह व्यावहारिकता और सेक्स के यंत्रीकरण पर अधिक ध्यान देता है। क्लैवर स्टडीज की एक सिरीज में फ्रेडेरिक फिलिप, रॉबर्ट वेलेरंद और उनके साथियों ने एक अवधारणा का अध्ययन किया, जिसे वे हारमोनियस सैक्स पेशन के रूप में संदर्भित करते हैं। उनका कहना है कि सेक्स के लिए पैशन जो अच्छी तरह से एकीकृत है और स्वयं के अन्य पहलुओं के अनुरूप है, जीवन के दूसरे क्षेत्रों में न्यूनतम संघर्ष पैदा करता है।

यौन इच्छाओं का हार्मोनियस इन्टीग्रेशन एक स्वतंत्र रूप से सैक्स एक्टिविटी का आनंद लेने के लिए फ्रीज करता है। सामंजस्यपूर्ण सैक्स पैशन को मापने वाले आइटमों में शामिल हैं, ‘सेक्स मेरे जीवन के अन्य भागों के अनुरूप है,’ ‘सेक्स मेरे जीवन में अच्छी तरह से एकीकृत है’ और ‘सेक्स मेरे जीवन में अन्य गतिविधियों के अनुरूप है।’ वहीं जो लोग आॅब्सेसिव सैक्स पैशन रखते हैं, वे अपनी कामुकता को उनके अस्तित्व की समग्रता में पूरी तरह से एकीकृत नहीं करते हैं।

उनकी यौन इच्छाएं अपने स्वयं के दूसरे क्षेत्रों और जीवन के अन्य डोमेन से अलग रहती हैं। यह अधिक संकीर्ण लक्ष्यों की ओर जाता है, जैसे कि इमिडिएट सैक्सुअल ग्रेटिफिकेशन और इससे सैक्स की एक अर्जेंट फीलिंग महसूस होती है और यह हमें अपनी सैक्सुएलिटी को कंट्रोल करने देने के बजाय उसको परफाॅर्म करने के लिए फोर्स करता है। इससे हमारे सैक्स और जीवन को पूरा एंजाॅय करने में भी परेशानी होती है।

कई अध्ययनों बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि सैक्स पैशन के दोनों प्रकार, आॅब्सेसिव और सामंजस्यपूर्ण सैक्स जानकारी जिस तरह से संसाधित की जाती है और यौन गतिविधियों का अनुभव कैसे किया जाता है, इस मामले में काफी अलग हैं। सैक्सुअल एक्टिविटिज के दौरान आॅब्सेसिव सैक्स नकारात्मक भावनाओं से संबंधित होता है। यौन संभोग के बाहर आॅब्सेसिव सैक्स, सैक्स के बारे में दखल देने वाले विचारों से संबंधित था।

आॅब्सेसिव सैक्स सूचना के पक्षपाती प्रसंस्करण से भी संबंधित था। इस में हाई स्कोर करने वाले अधिक अस्पष्ट सामाजिक संबंधों में यौन इरादे के अनुभव को परसीव करने में यकीन रखते हैं। आॅब्सेसिव सैक्स भी रोमांटिक अस्वीकृति के खतरे के और समय के साथ रोमांटिक संबंधों के अधिक से अधिक विघटन के दौरान हिंसक कृत्यों से भी संबंधित था। दूसरी तरफ सामंजस्यपूर्ण यौन जुनून ने स्वयं के अधिक प्रेमपूर्ण पहलुओं के साथ ज्यादा अच्छा इन्टीग्रेशन दिखाया।

उदाहरण के लिए कुछ प्रतिभागियों को सेक्स शब्द से रिलेटेड जितने भी शब्द 1 मिनट में उनके दिमाग में आ रहे हैं उसकी एक लिस्ट बनाने के लिए कहा गया। सामंजस्यपूर्ण यौन में उच्च स्कोर वाले लोगों बहुत से यौन-संबंधी शब्दों को सूचीबद्ध किया, लेकिन उनकी प्योरली सैक्सुअल रिप्रजेंटेशन जैसे पेनिस, बे्रस्ट, वाइब्रेशन और सैक्सुअल रिलेशनल रीप्रजेंटेशन जैसे इंटीमेट, इंटरकोर्स को लेकर ज्यादा संतुलित प्रोफाइल थी।

इस लिस्ट के जरिए आॅब्सेसिव सैक्स पैशन में पर्याप्त वृद्धि और सामंजस्यपूर्ण यौन पैशन में एक चिह्नित कमी नजर आई। सामंजस्यपूर्ण यौन जुनून में उच्च स्कोर करने वालों ने भी अपने सैक्सुअल ड्राइव पर अधिक नियंत्रण दिखाया। जब भी उन्हें किसी यौन उत्तेजना से अवचेतन का सामना करना पड़ता है वे काम पर बने रहे। सामंजस्यपूर्ण लैंगिक जुनून भी कम सैक्सुलअी इन्ट्रूसिव विचारों से संबंधित था और वैकल्पिक भागीदारों के लिए ध्यान देने योग्य नहीं था।

इस बड़े एकीकरण और संघर्ष की अनुपस्थिति ने समय के साथ उच्च रिश्ते की गुणवत्ता को जन्म दिया। यह ध्यान रखना जरूरी है कि आॅब्सेसिव सैक्स पैशन सेक्स की लत के समान नहीं है, हालांकि इस बारे में अभी भी चर्चा जारी है कि सैक्सुअल एडिक्शन वास्तव में मौजूद है या नहीं। हालांकि आॅब्सेसिव सैक्स नकारात्मक भावनाओं से सम्बंधित था, लेकिन फिर भी यह संकट की अधिक भावनाओं को ओर नहीं ले जाता है।

बता दें कि दोनों आॅब्सेसिव और हार्मोनियस सैक्स पैशन सेक्स-संबंधी गतिविधियों से प्यार और आनंद लेकर आने से संबंधित हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि हमारी उन लोगों को कलंकित करने की प्रवृत्ति है जो हमारे समाज में अधिक से अधिक सोशियोसैक्सुएलिटी के साथ हैं। वो लोग कैजुअल सैक्स में ज्यादा एंगेज होते हैं जो बहुत ज्यादा अनरिस्ट्रिक्टेड सोशियोसैक्सुअल ओरियेन्टेशन में विश्वास रखते हैं।

ये परिणाम बताते हैं कि सोशियोसैक्सुएलिटी ही सिर्फ परेशानी नहीं है, बल्कि, यह है कि आपकी सोशियोसैक्सुएलिटी  किस तरह से आपकी आइडेंटिटी और जीवन के अन्य पहलुओं से इंटीग्रेट होती है। शायद हमें सैक्सुअल परफाॅर्मेंस के साथ हमारे कल्चरल आॅब्सेशन की बजाय हमें लोगों को अपनी सैक्सुएलिटी को एक्सेप्ट करने और उसे महसूस करने, यौन जुनून को गले लगाने में मदद करनी चाहिए।

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